यह कहानी है रोम (Rome) शहर कि, जो इटली (Italy) कि राजधानी है। यहाँ के सम्राट थे क्लॉडियस गोथिक,जो ठीक मोहब्बतें फिल्म में गुरुकुल के नारायण शंकर (Amitabh Bachchan) की ही तरह, ‘परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन’ का डंका बजाते थे। फर्क सिर्फ इतना है कि रोम का यह सम्राट बेहद निर्दयी और दुष्ट था।
नारायण शंकर की तरह ही क्लॉडियस का मनाना था कि जो इंसान प्यार करता है वो देश की प्रतिष्ठा का ध्यान नहीं रख सकता, उसमे देश के लिए कुछ करने की चाह नहीं रहती और इसी कारण वो अनुशाशन से दूर भगता है और सेना में भर्ती नहीं होता है।
अपने इन्हीं विचारों के चलते सम्राट ने प्रेम, शादी, प्यार जैसे खूबसूरत जज्बातों पर पाबन्दी लगा दी और यह एलान करवाया कि जो व्यक्ति प्यार और शादी जैसे बंधन से जुड़ेगा उसे कड़ी सजा सुनाई जाएगी। प्यार के प्रति क्लॉडियस का ये व्यवहार सभी को नापसंद था लेकिन उसके खिलाफ आवाज़ उठाने कि हिम्मत किसी में नहीं थी।
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वहीँ एंट्री होती है संत वैलेंटाइन कि जो हूबहू मोहब्बतें के राज आर्यन (Shah Rukh Khan) कि तरह ये मानते थे कि ‘मोहब्बत भी जिंदगी की तरह होती है, हर मोड़ आसन नहीं होता, हर मोड़ पर खुशी नहीं होती, पर जब हम जिंदगी का साथ नहीं छोड़ते, फिर मोहब्बत का साथ क्यों छोडें’ संत वैलेंटाइन को सम्राट कि यह नाइंसाफी मंजूर नहीं थी और उन्होंने उसे आदेश के खिलाफ जा कर न सिर्फ प्रेम का प्रचार किया बल्कि कई सैनिकों कि शादी भी करवाई।
राज आर्यन ने कहा था के हर बड़ी कामयाबी के पीछे एक बहुत बड़ा बलिदान होता है। जब क्लॉडियस ने जाना कि एक संत है जो प्रेम और प्रेमियों के लिए मसीहा बन गया है और उसने उनकी आज्ञा का उल्लंघन किया है तो अपने अहंकार में उसने संत वैलेंटाइन को बंदी बना लिया और उन्हें आस्ट्रियस नाम के जेलर के पास हाउस अरेस्ट में रखा गया।
कहा जाता है कि आस्ट्रियस कि एक अंधी बेटी थी और जब आस्ट्रियस ने देखा कि लोग संत वैलेंटाइन को बहुत मानते हैं और कहते हैं कि उनके हाथों में जादू है तो वो संत के पास गया और उनसे अपनी बेटी के आँखों की रौशनी लाने की बात कही। संत वैलेंटाइन की शक्तियों के प्रभाव से आस्ट्रियस की अंधी बेटी अब देखने लगी। उसकी दोस्ती वैलेंटाइन से हो गयी और दोनों में प्यार हो गया।
आखिर 14 फरवरी को ( 270.) वो दिन आ गया जब संत वैलेंटाइन को सम्राट के खिलाफ जाने की सजा मिलनी थी। सम्राट ने संत को डंडों से पीट-पीटकर मार डालने की और उसका सिर कलम करने की दर्दनाक सजा सुनाई। मारे जाने से पहले संत वैलेंटाइन ने अपनी प्रेमिका के नाम एक पत्र लिखा, जिसके आखिर में उन्होंने ‘तुम्हारा वैलेंटाइन’ लिखा।
सदियों बाद लोगों ने संत वैलेंटाइन को प्यार का प्रतीक मानते हुए 14 फरवरी को प्यार का दिवस घोषित किया। इस दिन की शुरुआत वैलेंटाइन फीस्ट से हुई थी जो वैलेंटाइन के बलिदान को सलाम करने के लिए रखा गया था। आज वैलेंटाइन्स डे न सिर्फ एक बड़ा सेलिब्रेशन बल्कि बहुत बड़ा बिज़नेस बन चूका है। चारों तरफ प्यार और उस से जुडी मार्केट सजी है।
एक तरफ जहाँ लव बर्ड्स प्यार और इज़हार की बातें करते हैं वहीं दूसरी तरफ कई लोग इस सेलिब्रेशन की निंदा करते हैं। वजह कोई भी हो बात सिर्फ इतनी है की ‘दुनिया में कितनी हैं नफ़रतें फिर भी दिलों में है चाहतें जाओ के हदो इस जहाँ से, इस ज़मीन से,आसमान से रोक न सकेंगे अब ये मोहब्बतें।’
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