डिजिटल मैप आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सहायता समूहों को महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया करवा सकते हैं। वनों की आग से निपटने और संरक्षण के अलावा अवैध खनन रोकने में भी मदद कर सकते हैं। बाढ़ का पूर्वानुमान और उसने बचाव के उपाय किए जा सकते हैं।
नए नक्शे का पैमाना 1:500 होगा। इसका अर्थ है कि नक्शे पर पांच मीटर जमीन को एक सेंटीमीटर से दर्शाया जाएगा। इस नक्शे में दूरस्थ शहरों और गांवों की भूस्वामित्व संबंधी सटीक जानकारी स्थानीय अधिकारियों को दी जाएगी। अब से वर्ष 2021 के बीच यह परियोजना कई स्रोतों से डेटा जुटाकर देश के 75 फीसदी हिस्से की मैपिंग करेगी। शुरुआत में आबादी वाले क्षेत्रों को फोकस किया जाएगा। जबकि जंगल, रेगिस्तान आदि को इस चरण में शामिल नहीं किया जाएगा।
-2021 तक कई स्रोतों से डेटा जुटाकर 75 फीसदी हिस्से की मैपिंग हो जाएगी। पहले चरण में आबादी पर फोकस होगा।
-25000 ग्राउंड कंट्रोल प्वाइंट्स बनाए गए हैं देशभर में। जहां से डेटा जुटाकर ३डी मैप बनेगा।