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टाटा संस का चेयरमैन ना बनने की बात कहकर मिस्त्री ने कई अटकलों पर लगाया विराम

साइरस मिस्त्री ने टाटा समूह की किसी कंपनी का निदेशक ना बनने की भी कही बात
कहा, माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में अधिकारों की रक्षा को अपनाएंगे सभी विकल्प
पांच दशक से है टाटा संस और शापूरजी में रिश्ता, 18.37 फीसदी की है हिस्सेदारी

Jan 06, 2020 / 10:43 am

Saurabh Sharma

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Mistry Siad he did not become the chairman of Tata Sons

नई दिल्ली। टाटा-मिस्त्री के बीच की लड़ाई में रविवार को एक नया मोड़ तब आया, जब साइरस मिस्त्री ( Cyrus Mistry ) ने कहा कि वह न तो टाटा संस ( Tata Sons ) का चेयरमैन बनेंगे और न टाटा समूह ( Tata group ) की किसी कंपनी का निदेशक ही बनेंगे। लेकिन वह एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में तथा टाटा संस के बोर्ड में एक सीट के शापूरजी पालोनजी ( Shapoorji Pallonji Group ) समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह निर्णय टाटा समूह के हित में लिया है, जिसका हित किसी के व्यक्तिगत हित से ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनका और टाटा समूह का रिश्ता 5 दशक पुराना है।

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मैं नहीं बनूंगा चेयरमैन: साइरस
मिस्त्री ने कहा कि फैलाई गई गलत सूचनाओं को स्पष्ट करने के लिए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलटी का आदेश मेरे पक्ष में भले ही आया है, लेकिन मैं टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन नहीं बनना चाहूंगा, मैं टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसिस या टाटा इंडस्ट्रीज का निदेशक भी नहीं बनना चाहूंगा।” उन्होंने कहा, “लेकिन मैं एक माइनॉरिटी शेयरहोल्टर के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाऊंगा, जिसमें टाटा संस के बोर्ड में एक सीट हासिल करना और टाटा संस में सर्वोच्च स्तर का कॉरपोरेट शासन और पारदर्शिता लाना शामिल है।”

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50 साल पुराना रिश्ता
उन्होंने कहा कि टाटा समूह और शापूरजी के बीच रिश्ता कई दशकों से है और यह रिश्ता दोनों पक्षों की सहमति और आपसी भरोसे से बना है। टाटा संस में शापूरजी पालोनजी की हिस्सेदारी 18.37 फीसदी है। मिस्त्री ने कहा कि छोटे हितधारक के रूप में यह उनका और एसपी समूह का अपना हित रहा कि टाटा समूह की लंबी अवधि की कामयाबी सुनिश्चित हो। मिस्त्री ने अपने बयान में कहा, “18.37 फीसदी अंशधारक के रूप में यह हमारा अपना हित था कि समूह की लंबी अवधि की सफलता सुनिश्चित हो। मेरा परिवार हालांकि छोटा साझेदार है लेकिन वह पांच दशक से ज्यादा समय से टाटा समूह का संरक्षक रहा है।”

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यह है पूरा मामला
मिस्त्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब टाटा संस और उसके पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के दिसंबर के फैसले के खिलाफ चंद दिन पूर्व सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। रतन टाटा ने तीन जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा था कि मिस्त्री और टाटा ट्रस्ट्स के बीच रिश्ता बिगड़ गया है और टाटा ट्रस्ट्स ने महसूस किया है कि भविष्य में टाटा संस में उन्हें मजबूत नेतृत्व नहीं दिया जाना चाहिए। मिस्त्री 2012 में टाटा समूह के छठे चेयरमैन नियुक्त किए गए थे, लेकिन 24 अक्टूबर, 2016 को उन्हें पद से हटा दिया गया था।

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