SFIO ने दी जानकारी
आपको बता दें कि एसएफआईओ ( SFIO ) इस समय करीब 400 कंपनियों पर नजर बनाए हुए है। इसके साथ ही कंप्यूटर व लैपटॉप की भी जांच की जा रही है। इस जांच को जुटाने के बाद ही 30 मई को पहली चार्जशीट दायर की गई है। इसी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि समूह के ऑडिट का काम कर चुकी फर्म्स डेलॉय, हैसकिन्स एंड सेल्स को कर्जदाताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी की जानकारी थी।
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2017 के ईमेल से मिली जानकारी
जांच एजेंसियों ने जानकारी देते हुए बताया कि जून 2017 के एक ईमेल से पता चला है कि ऑडिटर ने डेलॉय समूह की परामर्श इकाई डेलॉय टच तोहमास्तु इंडिया एलएलपी का एक उत्पाद बेचने की कोशिश भी की थी। कंपनी के पास सुरक्षा की पूरी व्यवस्था होने के बाद भी कंपनी ने कोई खास कदम नहीं उठाए। इसके साथ ही समूह के पास निगरानी नीति होने के बाद भी इसकी निगरानी नहीं की गई। एसएफआईओ ने मामले की तह तक जाने के लिए आरबीआई से पूरी आंतरिक जांच कराने की मांग की है। जांच एजेंसी ने 30 निकायों को मामले में आरोपी बनाया है।
समूह के अधिकारियों ने धोखाधड़ी को किया नजरअंदाज
बता दें कि समूह में लंबे समय से धोखाधड़ी की खबरें सामने आ रही थी। साल 2017 में एक व्हिसलब्लोअर ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन समूह के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और इसको नजरअंदाज कर दिया। इसके साथ कंपनी के कई निदेशकों ने इस मामले को दबाने के लिए कई प्रयास किए। इसके साथ ही ऑडिट समिति ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया है।
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शक्तिकांत दास ने दी जानकारी
भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह मौद्रिक समीक्षा के दौरान आईएलऐंडएफएस मामले में एसएफआईओ की कोई जांच रिपोर्ट मिलने की बात से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें एसएफआईओ के आरोप-पत्र की जानकारी नहीं है। अगर कोई प्राधिकरण इस संबंध में हमें बताएगा तो हम इसे देखेंगे।’
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