सवालः ‘ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त’ साॅफ्टवेयर क्या है, इससे बच्चों को कैसे लाभ मिलता है?
जवाबः जब हमें टीचर मिलने में दिक्कत हुर्इ तो हमने डेल साॅफटवेयर कंपनी के साथ मिलकर एेसा साॅफ्टवेयर तैयार किया, जिससे सभी बच्चे उससे आसानी से समझकर पढ़ार्इ कर सके। वास्तव में इसमें छोटी से लेकर बड़ी क्लास सभी के लिए सिलेबस तैयार किया गया है। जिसे पढ़कर बच्चे अासानी से आॅनलाइन ही सवालों का जवाब देकर आगे बढ़ सकते हैं। साॅफ्टवेयर के थ्रू उनसे एेसे सवाल पूछे जाते हैं कि जिससे उन्हें खेल की तरह लगे आैर खेल-खेल में वो आगे भी पढ़ सके।
सवालः मौजूदा समय में बायजूस आैर बाकी एजुकेशनल एप्स मार्केट में मौजूद हैं, उनसे ज्ञानतंत्र कितना अलग हैं?
सवालः यह काफी जरूरी सवाल हैं। वास्तव में मार्केट में जितने भी एप हैं वो वन वे एप हैं। अगर आप उनमें कोर्इ गलती करते हैं तो उसका जवाब आपको दो से तीन दिन बाद पता चलता है। जबकि ज्ञानतंत्र का कंटेंट पूरी तरह से डायनामिक है। इसमें ज्ञानतंत्र आपके लिए टीचर की तरह काम करता है। अगर आप कुछ गलती करते हैं तो आपको तुरंत इसकी जानकारी देता आैर गलती में सुधार करता है। टू वे होने से यह साॅफ्टवेयर बाकी से बेहतर काम करता है। दूसरा यहां पर आपको एक ही साॅफ्टवेयर में सब सब्जेक्ट आैर क्लास का कंटेंट मिल जाता है। बाकी में एेसा नहीं है।
सवालः आपको आपके इस मिशन के लिए आैर कहां से मदद मिल रही है?
जवाबः जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि डेल ने इस साॅफ्टवेयर को बनाया है। वहीं होंडा हमारी संस्था का काॅरपोरेट पार्टनर है। वहीं बाकी जगहों से हमें लैपटाॅप आैर कंप्यूटर डोनेशन के रूप में भी मिले हैं। जिससे बच्चों को काफी मदद मिली है।
सवालः आप कितने बच्चों को पढ़ा रहे हैं आैर सालाना कितना खर्चा आ रहा है?
जवाबः मौजूदा समय में हम 44 हजार बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। जिसमें 22 हजार बच्चे अकेले भिवाड़ी में हैं। वहीं अलवर, किशनगढ़ जैसे इलाके में भी काम कर रहे हैं। अगर सालाना खर्चे की बात करें तो 2017-18 में 1.75 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस बार यह बजट करीब दो करोड़ रुपए जा सकता हैं।