यह लेनदेन पूरा हो जाने के बाद इस कनाडाई कंपनी की भारत के सबसे बड़े टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट में 100 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। बता दें कि इस ट्रस्ट के पास देशभर में कुछ 1 लाख 70 हजार टावर्स हैं।
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कर्ज कम कर दूसरी कंपनियों को टक्कर देने की तैयारी
इस डील से होने वाली कमाई का इस्तेमाल RIL अपने टेलिकॉम यूनिट पर भारी कर्ज को खत्म करने के लिए करेगी। इससे देश के टेलिकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा के बीच रिलायंस जियो इन्फोकॉम अपने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को कड़ी टक्कर दे सकेगी। RIL ने अपनी तरफ से जारी एक बयान में कहा है, “भारत के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर व्हीकल में यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।”
ब्रुकफील्ड होगा स्पॉनसर
देश में तेल से लेकर टेलिकॉम तक का कारोबार करने वाली रिलायंस अपने फाइबर बिजनेस को बेचकर भी संपत्ति जुटाने के प्रयास में लगी हुई है। हालांकि, कंपनी ने अभी तक संभावित निवेशकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। शुक्रवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज की ईकाई रिलायंस इंडस्ट्रीयल इन्वेस्टमेंट एंड होल्डिंग्स और टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट ब्रकुफील्ड को यूनिट्स जारी करेंगे। बाद में ब्रुकफील्ड व उसके पार्टनर्स इस ट्रस्ट के स्पॉन्सर्स बन जायेंगे।
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घट जायेगा जियो का कर्ज
मौजूदा समय में रिलायंस जियो इन्फ्राटेल में 51 फीसदी की हिस्सेदारी ट्रस्ट के पास है। वहीं, बाकी 49 फीसदी की हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है। फंड्स मिलने के बाद ट्रस्ट रिलायंस का 49 फीसदी हिस्सेदारी को 12,000 करोड़ रुपये में खरीदेगा। वित्तीय लाइबिलिटी को देखते हुए जियो रिलायंस ग्रुप को 12,000 करोड़ रुपये देगा। प्रस्तावित डील के पूरा होने जाने के बाद, रिलायंस जियो इन्फ्राटेल पर कर्ज घटकर 16,000 करोड़ रुपये का रह जायेगा।
ब्रुकफील्ड के साथ साल की दूसरी डील
बताते चलें कि कनाडाई कंपनी ब्रुकफील्ड द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज में यह दूसरा सबसे बड़ा निवेश है। इसके पहले ब्रुकफील्ड ने घाटे में चल रही मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर में 13,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जानकारों का मानना है कि ब्रुकफील्ड की तरफ से इस निवेश के बाद जियो का बैलेंसशीट मजबूत हो सकेगा।