ये है पूरा मामला
उत्तर रेलवे झांसी मण्डल के महत्वपूर्ण ऐतहासिक घरोहर के शहर तालबेहट रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन हजारों यात्री मुबंई, भोपाल, दिल्ली, आगरा, ग्वालियर समेत विभिन्न शहरों की ओर जाते है। जिससे रेलवे को प्रतिदिन 60 से 70 हजार रूपए की आमदनी होती है। मगर रेलवे सुविधाओं के नाम पर शून्य स्थिति पर है। प्लेटफार्म न0 2 के छोटा होने के कारण दिव्यांग व बुजुर्ग यात्रियों को गिट्टी पर उतरना पड़ता है जिससे कई बार दुर्घटनाए हो जाती है।
वहीं पूरे स्टेशन परिसर में एक मात्र वाटर कूलर होने के कारण यात्रियों को पीने के पानी के लिए पटरियां दौड़कर पार करते हुए पानी लेना पड़ता है। प्लेटफार्म के नलों को ट्रेन के समय ही खोला जाता है जिससे गर्म पाईप लाइनों से भीषण गर्मी में गर्म पानी से प्यास बुझानी पड़ती है। ज्यादातर गाडिय़ा प्लेटफार्म न0 2 पर आने के कारण धूप में यात्रियों को ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है।
इसी तरह रात होते ही प्लेटफार्म न01 को छोड़कर 2 व 3 नम्बर के प्लेटफार्म अंधेरे में रहते है। रोशनी की कोई व्यवस्था न होने के चलते जेबकतरें व असमाजिक तत्व सक्रिय बने रहते है। आरक्षण खिड़की व स्टेशन मास्टर का एक ही कमरा होने व आरक्षण का समय 10 से 2 बजे तक होने के कारण यात्रियों को आरक्षण कराने व टिकिट लेने में भारी परेशानियां होती है।
रेलवे स्टेशन पर किसी भी यात्री को सुविधा का लाभ नहीं मिला
कई बार रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए समाजिक संस्थाओं ने जनप्रतिनिधियों का ध्यानार्षण कराया मगर जनप्रतिनिधियों ने जनहित में कोई रूचि नहीं ली जिससे बीते पांच वर्षो में रेलवे स्टेशन पर किसी भी यात्री को सुविधा का लाभ नहीं मिला। वर्ष 2012-14 के बीच दो वर्षो में सामजिक संस्था युवा जागृति मंच के प्रयास से तत्कालीन केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन से छत्तीसगढ व उत्कल कलिंग एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव कराया था। मगर विगत पांच वर्षा से केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय नेता उमा भारती के प्रयास से सिर्फ सांसद निधि की कुर्सियां ही यात्रियों को मिल सकी। समाजिक संस्था युवा जागृति मंच ने कई बार ज्ञापनों के माध्यम से मालवा एक्स0, पतालकोट एक्स0 समेत अन्य गाडिय़ों के ठहराव व स्टेशन परिसर की अव्यस्थाओं के संबंध में ज्ञापन दिया मगर वीते पांच वर्ष में कोई सुनवाई नहीं हुई। दैनिक यात्री संघ के यात्रियों ने रेल मंत्रालय से रेल सुविधाए बढाने की मांग की।