आंकड़े बता रहे हैं चौंकाने वाली कहानी
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। यहां तक कि गर्भ में पल रहे बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है। क्या हैं प्रशासन के प्रयास?
- स्वास्थ्य शिविर: ग्राम पंचायतों में नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं, जिनमें कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
- एनआरसी: कमजोर बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाता है, जहां उन्हें पोषक आहार और देखभाल मिलती है।
- पोषक आहार: कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार उपलब्ध कराया जाता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज कुमार का कहना है कि कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पुष्टाहार उपलब्ध कराया जाता है और गर्भवती महिलाओं को भी पोषक आहार दिया जाता है।