जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जे.एस बक्शी ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत गठित टीमों ने घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति की जांच की। अगर टीम द्वारा किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए गए, तो उनका बलगम लेकर जांच के लिये प्रयोगशाला भेजा गया। इस तरह अभियान के अंतर्गत पूरे जनपद में 1,43488 लोगों का निरीक्षण किया गया। जिसमें से 1,056 मरीज टीबी के संभावित लक्षणों वाले मिले जिनमें से प्रत्येक मरीज के दो बलगम की जांचे प्रयोगशाला में कराई गयी। इनमें से 102 लोग टीबी से ग्रसित पाए गए हैं (जिनमें 62 नए बलगम धनात्मक एवं 40 एक्स रे पॉज़िटिव) पाए गए और सभी मरीजों का 48 घंटे के अंदर उपचार प्रारम्भ करा दिया गया।
11 दिनों में पाए गए 69 टीबी मरीज डॉ. जे.एस बक्शी ने बताया कि इस अभियान के लिए जनपद की 10 प्रतिशत आबादी लक्षित थी। क्षेत्र में 60 टीमों द्वारा प्रतिदिन के हिसाब से कुल 10 कार्यदिवसों में कार्य करके टीबी के संभावित मरीजों की खोज करना था। इसके लिए 13 सुपरवाजरों एवं सभी ब्लॉकों के चिकित्सा अधीक्षक/ चिकित्सा अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई। टीम द्वारा हर दिन 50 घरों का दौरा किया गया। उन्होंने बताया कि 7 जनवरी से 18 जनवरी, 2019 तक पिछला चरण चलाया गया। इसमें अभियान के अंतर्गत लगभग 69 टीबी के मरीज पाए गए। जबकि इस बार के अभियान द्वारा 102 टीबी के मरीज पाए गए।
टीबी सक्रिय खोज अभियान क्षयरोग या ट्यूबरक्लोसिस (TB) एक गंभीर बीमारी है, जो कि लम्बे समय से जन सामान्य की स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। यह एक संक्रांमक रोग है जो मरीजों के खाँसने और थूकने से फैलता है। क्षय रोगियों की जल्द पहचान करके उनका इलाज शुरू करना, इस बीमारी को रोकने में मद्दद करता है। इसी कारण भारत सरकार द्वारा टीबी सक्रिय खोज अभियान चलाया गया।