तराई हाथी रिजर्व बनने से हाथियों और इंसानों के बीच का संघर्ष तो कम होगा ही, साथ ही इन हाथियों को रहने का एक स्थाई स्थान भी मिलेगा। किसी भी दुर्घटना पर समय पर मुआवजा भी मिल सकेगा। इसके बनने से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी के भारत-नेपाल क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और ग्रामीणों की रक्षा होगी।
टाइगर रिजर्व की तरह होंगे कानून पीलीभीत तराई का इलाका वन्यजीवों के लिए अनुकूल माना जाता है। यहां लगातार वन्यजीवों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। संजय सिंह ने कहा कि हाथी रिजर्व में टाइगर रिजर्व के कानून लागू होंगे। टीईआर का निर्माण तीन हजार वर्ग किलोमीटर में होगा जिसमें 149 हाथी, जिनमें नर, मादा व बछड़ों सहित कुल 25 पालतू हाथी हैं। दुधवा पार्क प्रशासन इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी मिलने से खासा उत्साहित है। बता दें कि तराई हाथी रिजर्व बनने के बाद यहां हर साल बड़ी संख्या में आने वाले नेपाली हाथियों को बेहतर माहौल मिलेगा। यही नहीं हाथियों को इलाज जैसी बेहतर सुविधाएं समय पर मिल सकेंगी और उनकी अच्छे से देखभाल हो सकेगी। इसके अलावा रिजर्व इलाके के सौंदर्यीकरण का काम भी बेहतर ढंग से हो सकेगा।