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कोटा को ना करो बदनाम, सर्वाधिक स्टूडेंट सुसाइड वाले राज्यों में नहीं हमारा राजस्थान

World Suicide Prevention Day 2024: नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, देश में औसतन 35 स्टूडेंट्स रोजाना आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें से लगभग आधे केस (17) तो पांच राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और ओडिशा के ही हैं।

कोटाSep 10, 2024 / 10:28 am

Ashish Joshi

आशीष जोशी

मनोचिकित्सक कहते हैं, ‘दुनिया में युवाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण रोड एक्सिडेंट है, लेकिन भारत में युवाओं की मृत्यु की सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है।’ पिछले कुछ सालों से कोचिंग केपिटल कोटा को स्टूडेंट्स सुसाइड को लेकर बदनाम किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि विद्यार्थी आत्महत्या के मामलों में हमारा राजस्थान ही देश में दसवें स्थान पर है।
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, देश में औसतन 35 स्टूडेंट्स रोजाना आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें से लगभग आधे केस (17) तो पांच राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और ओडिशा के ही हैं। राजस्थान में तो प्रतिदिन औसतन एक या दो स्टूडेंट सुसाइड करते हैं। उसमें भी कोटा में तो महीने में औसतन एक या दो छात्र आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा रहे हैं। इस बीच राहत का तथ्य यह भी है कि कोटा में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष स्टूडेंट सुसाइड के मामलों में कमी आई है। देश में पिछले सात सालों में स्टूडेंट सुसाइड के मामलों में 62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं किसानों की आत्महत्या के मामलों में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है।
DR Pankaj On Suicide Case

चिंता…छात्राओं में बढ़े सुसाइड के मामले

गैरलाभकारी संस्था द इंटरनेशनल कॅरियर और कॉलेज काउंसलिंग इंस्टीट्यूट (आईसी-3) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आत्महत्या के कुल मामलों में सालाना 2 प्रतिशत और विद्यार्थी आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृदि्ध हुई है। वहीं पिछले दो दशकों में छात्राओं में सुसाइड केस में 4 प्रतिशत की चिंताजनक वार्षिक बढ़ोतरी हुई है। जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। वर्ष 2021 और 2022 के बीच, छात्रों की आत्महत्या में छह प्रतिशत की कमी आई जबकि छात्राओं में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

हैरत…जनसंख्या वृद्धि दर से ज्यादा स्टूडेंट सुसाइड

एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार, स्टूडेंट सुसाइड की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर से भी ज्यादा है। एक दशक में 24 वर्ष तक की उम्र वालों की आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 रह गई। वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6654 से बढ़कर 13,044 हो गई है।
Dr Tanu On Suicde Case

जहां ज्यादा सुसाइड वहां क्या किए रोकने के उपाय

मध्यप्रदेश : फाइलों से बाहर नहीं आई सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी

सरकार ने सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी बनाने का मसौदा पेश करते हुए इसे जल्द लागू करने का दावा किया, लेकिन ये अभी तक सिर्फ कागजों में ही सिमटा हुआ है। इसके लिए बनाई गई टास्क फोर्स अभी तक रिपोर्ट ही नहीं सौंप पाई है। निगारनी तंत्र बनाने, मनोचिकित्सा के साथ जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को बढ़ावा देने की योजना थी।

कर्नाटक : काउंसलिंग तक सीमित है प्रयास

निम्हांस के सहयोग से कर्नाटक सरकार विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों को तनाव प्रबंधन सहित आत्महत्या आदि घटनाओं को रोकने की दिशा में जागरूक कर रही है। शिक्षकों को काउंसलिंग सिखाई जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे को समझने के लिए अनुसंधान कर रहा है।
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तमिलनाडु : बनाया इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ

स्वास्थ्य हेल्पलाइन नम्बर 104 जारी किए हैं। यह चौबीस घंटे काम करती है। इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ है। जहां तुरंत हेल्पलाइन मुहैया कराई जाती है। ऑनलाइन मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की व्यवस्था। ऑनलाइन हेल्पलाइन नम्बर 988 भी।

आंकड़ों का आईना… 5 राज्यों में ही 50% स्टूडेंट सुसाइड, इसमें राजस्थान नहीं

राज्य – स्टूडेंट सुसाइड – प्रतिशत

महाराष्ट्र – 1764 – 14%
तमिलनाडु – 1416 – 11%
मध्यप्रदेश – 1340 – 10%
उत्तरप्रदेश – 1060 – 8%
झारखंड – 824 – 7%
(वर्ष 2022 के आंकड़े। इस दरम्यान राजस्थान में विद्यार्थी आत्महत्या के 571 मामले दर्ज हुए। जो कुल स्टूडेंट सुसाइड का महज 4.3 फीसदी है। )

कोटा में कम हुए मामले

वर्ष – स्टूडेंट सुसाइड
2023 – 25
2024 – 12
(इस साल 8 सितम्बर तक के आंकड़े)

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