राज्य में वर्षा जनित हादसों में 54 लोगों की मौत, कोटा में नुकसान का होगा सर्वे, आपदा नियमों पर मुआवाजे कोटा में इस तरह पानी चौथी बार पानी आया है। 1976, 1986 और 2006 के बाद अब हुई। इस बार प्रवाह सबसे ज्यादा है। मुख्यमंत्री के जेहन में चंबल से
बाढ़ की बात पहले से ही थी, इसलिए बजट में
चंबल रिवरफ्रंट की योजना स्वीकृत की। चंबल रिवरफ्रंट का पहला चरण पूरा हो जाएगा तब शहर में चंबल का पानी नहीं आएगा। दीवार इतनी ऊंची हो जाएगी कि अब जहां तक पानी आया इससके ज्यादा पानी कभी नहीं आ सकती है।
चार दिन बाद चम्बल का गुस्सा हुआ कम ,एक कि मौत,आधा दर्जन गांव टापू बने,बैराज से पानी की निकासी की कम इसलिए चंबल रिवरफ्रंट का प्लान तैयार करने वाली टीम भी कोटा आई है। यह जहां तक पानी गया है वहां तक दीवार का निर्माण किया जाएगा। जब बस्तियां डूबने की संभावना दिखी तो प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मुनादी कराई, लेकिन काफी लोग नहीं गए। इसलिए उन्हें रेस्क्यू करके निकालना पड़ा।
यदि वे अतिक्रमण करके बनाए गए मकानों को छोड़ देंगे तो सरकार उनका पुनर्वास करने को तैयार। जब दस्ता अतिक्रमण हटाने जाता है तो पत्थरबाजी होती है। पहले भी शहर में 3600 लोगों का पुनर्वास किया था, किसी को भी कोई शिकायत नहीं है। अब भी सरकार पुनर्वास के लिए तैयार हैं। रिवरफ्रंट के निर्माण के समय अतिक्रमण हटेगा।
मध्यप्रदेश सरकार सहमति नहीं दे रही है। अच्छा प्रोजेक्ट है और चाहते हैं कि पूरा हो और हम कमी रखेंगे भी नहीं। अभी ने तो सर्वे हुआ है न ही डीपीआर बनी है। जिस तरह का सपना दिखाया कि 13 जिलों में पानी की कमी नहीं होगी, अभी निकट भविष्य में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।
पिछली सरकार ने चुनाव जीतने के लिए अफरा-तफरी में सड़कों, पानी प्रचार माध्यमों पर जो पैसा उड़ाया है वह पैसा हम चुकाते जा रहे हैं। इसलिए पैसा बकाया है। अतिरिक्त खर्च कर दिया 25 करोड़ तो प्रचार माध्यमों पर अनावश्यक खर्च कर दिया। अभी वो चुकाए हैं। हम पीछे की की आगे की सोचते हैं।
पहले भी प्राजेक्टर बनाया नक्शा बदला दिया और आपने धारीवाल साहब को घर भेज दिया। अब कोटा कहां से कहा पहुंच गया है। तब भी घर भेजते हैं।