बाघों के आने से पहले ही मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व पर बरसने लगा पैसा
गांवों का विस्थापन ही नहीं हुआ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को आबाद करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की एनओसी मिलने के बाद वन विभाग रणथंभौर टाइगर रिजर्व से दो बाघिन और एक बाघ को लाने की तैयारी में जुट गया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जी.वी. रेड्डी ने बताया कि मुकुंदरा में पहले एक बाघ को लाया जाएगा। उसके बाद बाघिन आएंगी, लेकिन मुकुंदरा में बाघ लाने से पहले गांवों का विस्थापन न होने से पूरी परियोजना को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर वन विभाग इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रहा है। वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि ग्रामीणों का विस्थापन किए बिना ही बाघ लाने से रणथंभौर और सरिस्का जैसी समस्याएं पैदा हो जाएंगी।
इमाम सिद्दकी अब
कोटा के लिए करेंगे वो काम, जिसे 10 साल में नहीं कर सकी राजस्थान सरकारदो हेक्टेयर में बनेंगे एनक्लोजर रणथंभौर से लाए गए बाघ को मुकुंदरा में बसाने के लिए यहां दो हेक्टेयर में एक एनक्लोजर बनाया जाएगा। यह दो हिस्सों में बंटा होगा। रणथंभौर से आने वाले बाघ को पहले इस एनक्लोजर में छोड़ा जाएगा और 20-22 दिन बाद इसे खुले में निकाला जाएगा। जब यह बाघ यहां के माहौल में ढ़ल जाएगा तब दो बाघिन लाई जाएंगी। जंगलों में मवेशियों की चराई की समस्या को लेकर रेड्डी ने कहा कि बोराबास के पास करीब 12 हजार बीघा जमीन मवेशियों के लिए सुरक्षित रहेगी, लेकिन समस्या ये है कि अभी तक एन्क्लोजर बना है या नहीं ये भी वन विभाग स्पष्ट नहीं कर पा रहा है।
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रेडियो कॉलर से होगी निगरानी मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा पर वन विभाग खासा गंभीर है। रणथंभौर से लाए जाने वाले सभी बाघों के खुले में छोड़ने से पहले रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे, ताकि उस पर 24 घंटे निगरानी रखी जा सके। जवाहर सागर बांध से देवझर महादेव तक का बफर जोन बनाने की भी योजना है। वहीं पगमार्क फाउंडेशन के देवव्रत सिंह हाड़ा कहते हैं कि रेडियो कॉलर से बाघों को जेनेटिक डिजीज की खतरा रहता है। इसलिए ड्रोन से निगरानी की जाए।
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सुरक्षा दीवार बने पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक रविंद्र सिंह तोमर और पगमार्क फाउंडेशन के देवव्रत सिंह हाड़ा ने बाघों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ब्रोकेन टेल की तरह कहीं रणथंभौर के बाघ भी ट्रेन और रोड़ पर वाहनों की चपेट में ना आ जाएं इसीलिए कोटा-डाबी रोड व बून्दी टनल से सथूर तक अण्डरपास और सुरक्षा दीवार निर्माण किया जाए। इससे पहले भी वह मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी के समक्ष यह मांग उठा चुके हैं। जिस पर उन्होंने शीघ्र कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई काम नहीं हो सका है। इस दौरान रेलवे ट्रेक पर एक भालू समेत चार वन्यजीवों की मौत हो चुकी है।