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कोटा

25 नवम्बर के बाद नगर निगम पहली बार होगा ये बड़ा बदलाव, वजह जानना भी है बेहद जरूरी

शहर सरकार रहेगी 25 तक, 26 को प्रशासन संभालेगा निगम, नगर निगम में पहली बार लगेगा प्रशासक, आम जनता से जुड़े कई कार्य होंगे प्रभावित

कोटाNov 15, 2019 / 12:17 am

Rajesh Tripathi

25 नवम्बर के बाद नगर निगम पहली बार होगा ये बड़ा बदलाव, वजह जानना भी है बेहद जरूरी

25 नवम्बर के बाद नगर निगम पहली बार होगा ये बड़ा बदलाव, वजह जानना भी है बेहद जरूरी

कोटा. शहर सरकार यानी नगर निगम का बोर्ड 25 नवम्बर तक रहेगा। 26 नवम्बर को प्रशासन निगम की कमान संभाल लेगा। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से इस बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं आए हैं कि प्रशासक कौन होगा। हालांकि जिला कलक्टर को ही प्रशासक नियुक्त किए जाने की चर्चा है। निगम के इतिहास में पहली बार प्रशासक लगेगा।
नगर निगम का गठन होने के बाद से बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने से पहले अब तक समयबद्धता से चुनाव होते आ रहे हैं, इस कारण प्रशासक लगाने की नौबत नहीं आई। निगम के मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल 25 नवम्बर को पूरा हो जाएगा। राज्य सरकार ने इस बार निगम के चुनाव टाल दिए हैं। अब एक निगम की जगह दो नगर निगम होंगे। दोनों निगमों के हिसाब से वार्डों का पुर्नगठन किया जाएगा। इसके बाद चुनाव करवाने की संभावना है। जब तक नया बोर्ड नहीं बनेगा, तब तक प्रशासक लगाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि निगम में जनता के प्रतिनिधि नहीं होने से आम जनता की परेशानी बढ़ेगी, क्योंकि वार्ड की जनता का सीधा संवाद पार्षद से होता है। इस कारण बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद जनता की परेशानियां बढ़ेंगी।
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प्रशासन कर रहा है इंतजार
भाजपा पार्षद विवेक राजवंशी, गोपालराम मण्डा का कहना है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से निगम के अधिकारी सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने काम करना ही बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने काम करने की नहीं छुट्टियां मनाने की होड़ मची हुई है। आयुक्त से लेकर उपायुक्त तक एक-एक माह की लम्बी छुट्टियों पर जा चुके हैं।

यह काम कौन करेगा
1 प्रत्येक वार्ड में सफाई के लिए दस-दस ठेका कर्मी लगे हुए हैं, इनका भुगतान पार्षद की अनुशंसा पर होता है।
2 ईडब्ल्यूएस, आय, जाति समेत विभिन्न तरह के प्रमाण पात्र बनाने के लिए पार्षद की मुुहर लगाई जाती है।
3 रोड लाइटों की समस्याएं अभी लोग सीधे पार्षद को बताते हैं वह निगम के माध्यम से दुरुस्त करवाते हैं।
4 कई पार्षद को वार्ड में लोगों के घर बैठे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर पहुंचाते हैं, अब कौन करेगा।

आमने-सामने

पांच साल बेमिसाल
निगम में बोर्ड का कार्यकाल 25 नवम्बर को शाम 5 बजे पूरा हो जाएगा। मेरे कार्यकाल और भाजपा बोर्ड के पांच साल का कार्यकाल बेमिसाल रहा है। जनता की हर समस्या का पारदर्शिता से समाधान कर बेहतर सेवाएं देने का प्रयास किया गया है। सेल परमिशन, नाम हस्तांतरण आदि के लिए लोगों को पहले चक्कर लगाना पड़ता था, अब तत्काल मिल जाती है। दशहरा मैदान को स्मार्ट मैदान बना दिया है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था पहली बार लागू की गई है। पूरे पांच साल में कोई दाग नहीं लगा है। यह मेरे लिए और बोर्ड के लिए गर्व की बात है।
महेश विजय महापौर

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लडऩे के अलावा कुछ नहीं किया
भाजपा बोर्ड के पास पांच साल में गिनाने लायक एक भी उपलब्धि नहीं है। शहर को स्वच्छ बनाने का दावा किया था, लेकिन शहर को कूड़ाघर बना दिया है। इस कारण पांच साल में डेंगू और मौसमी बीमारियों से कई लोगों की अकाल मौत हो गई। आवारा मवेशियों की समस्या जानलेवा साबित हो रही है। भवन निर्माण की फाइलों का निस्तारण तक नहीं हुआ। भाजपा पार्षद और महापौर केवल ठेकों के लिए लड़ते रहे। दशहरा मेले का स्वरूप भी बिगाड़ दिया है।
अनिल सुवालका, प्रतिपक्ष नेता

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