उन्होंने कहा कि कई बच्चे, मित्रों या परिवार के दबाव के चलते अध्ययन की वो शाखा चुन लेते हैं, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं होती और यह बच्चे दबाव से टूटते चले जाते हैं। नशा, अवसाद, आत्महत्याएं जैसे कदम उठा लेते है। ऐसे में माता-पिता बहुत सोच समझ कर अपने बच्चों के लिए कार्यक्षेत्र चुनना चाहिए। वैश्विक भारत में हजारों रास्ते है, जिन पर चल कर धन-सम्मान-नाम सब कमाया जा सकता है, इसलिए बच्चों को उनकी रुचि के विरुद्ध कभी सीमित न किया जाए। ब्राह आडम्बर की जगह भक्ति समर्पण से होना चाहिए।
– शिक्षकों के लिए यह खास
डॉ. पवन सिन्हा ने कहा कि शिक्षक में एक मित्र तथा एक संरक्षक भी छिपा होता है। अत: उनका ये दायित्व बनता है कि वह बच्चों को केवल ग्राहक नहीं समझे। उसे देश समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझे और विषय के साथ साथ उसको प्रेरित भी करते रहे।
– मोबाइल, तनाव व भोजन से एकाग्रता की कमी डॉ. पवन सिन्हा ने कहा कि बच्चों की एकाग्रता नित प्रतिदिन कम होती जा रही है, इसका बहुत बड़ा कारण मोबाइल मित्र, तनाव और भोजन है। भोजन जितना गरिष्ठ होगा, मस्तिष्क उतना जल्दी थकेगा और नींद उतनी ही अधिक आएगी। पढऩे में रुचि उतनी कम होगी, एकाग्रचित नहीं हो पाएंगे, इसीलिए पढ़ाई स्मृति का हिस्सा नहीं बन पाएगी।
इससे पहले छात्रसंघ अध्यक्ष विनय राज सिंह का गुरुजी ने सम्मान किया। कार्यक्रम में डॉ. कर्नेश गोयल, डीएसपी भगवत सिंह हिंगड़, बृजेश शर्मा नीटू सहित अनेक छात्र एवं शहरवासी उपस्थित रहे। संचालन अधिवक्ता सोनल विजय ने किया।