इंजन से दसवें वैगन का कपलर टूटने से ट्रेन के 32 वैगन पीछे छूट गए। जब कपलर टूटा रफ्तार बहुत कम थी। प्रेशर रिलीज होने के कारण कोच स्वत: ही कुछ दूरी पर रुक गए। इसके बाद कलपर को दुरुस्त कर वैगनों को पुन: जोड़ा गया और मालगाड़ी को रवाना किया। मालगाड़ी के दो भागों में बंटने से झालावाड़ सिटी-कोटा पैसेंजर ट्रेन को भी रास्ते में रोकना पड़ा।
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यहां भी हो चुका है ऐसा हादसा
यूपी के बांदा में हाथरस के न्यू दाऊद खान स्टेशन जा रही मालगाड़ी की केन नदी के पास कपङ्क्षलग खुलने से मालगाड़ी दो हिस्सों में बंट गई थी। गनीमत रही की मालगाड़ी स्पीड कम होने से बढ़ा हादसा होने से बच गया। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कपङ्क्षलग को ठीक कराकर मालगाड़ी आगे के लिए रवाना की। इससे झांसी व कानपुर रेल मार्ग करीब 35 मिनट तक बाधित रहा।
बिना इंजन के दौड़ पड़ी थी मालगाड़ी
उत्तराखंड में रेलवे अधिकारियों की लापरवाही से पत्थरों से भरी मालगाड़ी के छह डिब्बे बगैर इंजन के दौड़ पड़े। 60 से 70 किलोमीटर की स्पीड से चल रही बिना इंजन वाली ट्रेन ने करीब 25 किलोमाटर की दूर तक की। घटना का वीडियो भी वायरल हुआ। जिसमें ट्रेन के आगे आगे एक ट्रैक्टर भी दिखाई दे रहा है।
चंपावत के टनकरपुर रेलवे स्टेशन से यह मालगाड़ी के छह डिब्बे कैसे चल पड़े इसके बारे में अधिकारी कोई जानकारी नहीं दे पाए। अधिकारियों से जब इस घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चंपावत के टनकरपुर की ओर ढलान होने ट्रेन स्पीड से दौड़ पड़ी होना बताया।