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कोटा

indian railways: बढ़ते डीजल के दामों ने रेलवे की भी नींद उड़ाई

ट्रेनों में से जनरनेटर कार हटाए जा रहे हैं अब सीधी ओएचई से ही कोचों में विद्युत आपूर्ति की जाने लगी है। अभी जो रेलवे लाइन विद्युतीकृत नहीं है, वहां डीजल इंजन से ट्रेनों के संचालन पर रेलवे को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए वर्ष 2024 तक पूरे देश की रेलवे लाइन को विद्युतीकृत करने की योजना पर कार्य चल रहा है।

कोटाAug 29, 2021 / 12:55 pm

Jaggo Singh Dhaker

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कोटा. पेट्रोल-डीजलों की बढ़ती कीमतों को लेकर आमजन ही परेशान नहीं है, बल्कि रेलवे भी महंगे डीजल के विकल्प खोजने में जुटा हुआ है। कोटा मंडल में भी डीजल खर्च को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ट्रेनों में से जनरनेटर कार हटाए जा रहे हैं अब सीधी ओएचई से ही कोचों में विद्युत आपूर्ति की जाने लगी है।
वहीं एलएचबी (लिंक हाफमेन बुश) रैक के कोचों के रख रखाव के दौरान पिट लाइन पर पावर कार के जरनरेटर का उपयोग बंद कर दिया है। अब यहां विद्युत सब स्टेशन का निर्माण करके सीधी बिजली लेकर रख रखाव कार्य किया जा रहा है। डीजल जरनेटर का उपयोग करने पर एक रैक के रख रखाव पर रोज 9730 रुपए के डीजल की खपत हो रही थी। हर माह एक रैक के रख रखाव पर 2.92 लाख रुपए के डीजल की खपत हो जाती थी। इस तरह अब हर साल एक रैक के रख रखाव पर 35.2 लाख और दो रैक के रखाव पर हर साल 70.4 लाख रुपए के डीजल खर्च की बचत होगी।
कोटा के डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि गोल्डन जुबली पिट लाइन पर 750 केवी का सब स्टेशन बनने से रेलवे डीजल खर्च में राशि बचा रहा है। विद्युत से कार्य करना सस्ता पड़ रहा है।
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विद्युतीकरण पर भी जोर
अभी जो रेलवे लाइन विद्युतीकृत नहीं है, वहां डीजल इंजन से ट्रेनों के संचालन पर रेलवे को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए वर्ष 2024 तक पूरे देश की रेलवे लाइन को विद्युतीकृत करने की योजना पर कार्य चल रहा है। पश्चिम मध्य रेलवे रेलवे के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल में 100 प्रतिशत ट्रेक विद्युतीकृत है। इसके अलावा कोलकाता मेट्रो की 100 प्रतिशत लाइनें विद्युतीकृत हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे में अभी 3 हजार 62 किमी रेलवे लाइन गैर विद्युतीकृत है। राजस्थान का बड़ा हिस्सा इसी जोन में आता है।

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