गार्ड रूम में भरा भूसा : डेम के मुख्य द्वार पर लोगों पर नजर रखने के लिए गार्ड रूम बना हुआ है। कभी यहां पर हर समय चौकीदार रहता था। अभी गाय व बैल को खिलाने के लिए भूसा भरा हुआ है।
अंधेरा होते ही शराब पार्टियां: यह क्षेत्र प्रतिबंधित है। भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य ने भी लोगों के आने जाने पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद समाजकंटक घुस जाते हैं। डेम पर जाने के लिए एक जगह दीवार का हिस्सा तोड़ दिया गया है। मुख्य द्वार पर ताला लगा है, डेम के पास बने लोहे के गेट को भी पत्थर रखकर बंद कर दिया गया है। फिर भी लोग दीवार फांदकर आ जाते हैं। अंधेरा होने के बाद यहां शराब पार्टियां करते हैं।
टपकती छतें, टीनशेड टूटा: डेम के ऊपर बने गेस्ट हाउस परिसर में लगे शेड को बन्दरों ने तोड़ दिया है। चौकीदार ने बताया कि गेस्ट हाउट की छतें कई जगह से टपकती हैं। शेड निर्माण को लेकर उच्चाधिकरियों को भी अवगत कराया गया है लेकिन कोई बात नहीं बनी।
इस डेम के लिए जवाबदेह दो विभाग हैं। पहला सिंचाई विभाग और दूसरा विद्युत उत्पादन निगम यानी पन बिजलीघर प्रशासन। पत्रिकाडॉटकॉम ने दोनों के जिम्मेदार अधिकरियों से इस बारे में बातचीत की तो उनके सुर अलग दिखे।
सिंचाई विभाग के रावतभाटा खंड अधिशासी अभियंता पीसी मेघवाल का कहना है कि डेम की रखवाली की जिम्मेदारी विद्युुत उत्पादन निगम की है। इसको लेकर निगम से डेम की सुरक्षा को लेकर तीन गन मैनों की मांग की थी लेकिन कोई जवाब नहीं आया। गन मैन उपलब्ध नहीं कराए गए। वे यह जरूर जोड़ते हैं कि यदि दीवार टूटी होने से लोग घुस आते हैं तो उसे विभाग ठीक करा देगा।
उधर, पनबिजलीघर के अधिशासी अभियंता संजय पालीवाल का कहना है कि गार्डों का नया टेन्डर हुआ है। सेडल डेम पर गार्ड लगाने के लिए लिखा जाएगा। यदि स्वीकृति मिलती है तो यहां भी तीन गार्ड लगा दिए जाएंगे।