मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो इस साल कोटा शहर में मानसून सीजन 15 जून से 15 सितम्बर तक की अवधि में 425 मिलीमीटर बरसात हुई है। जो कि विगत दस साल में सबसे कम है। सबसे ज्यादा बरसात गत वर्ष 1124.6 मिलीमीटर हुई थी।
— बढ़ता तापमान प्रभावित कर रहा फसलों की उत्पादकता इस साल हुई कम बरसात के चलते तापमान में अभी से ही बढ़ोतरी देखी जा रही है। सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में ही इतनी गर्मी पडऩे लगी कि इसका असर फसलों के उत्पादन पर भी नजर आने लगा है। खेतों में सोयाबीन, उड़द, मूंग, मक्का आदि फसलें पक गई है। जो तापमान एकदम से बदलने से अल्प अवधि में पकने लगी है। इसके चलते उत्पादन में 20-30 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है। सोयाबीन का उत्पादन दो से ढाई क्विंटल प्रति बीघा, उड़द, मूंग का उत्पादन 70 से 90 किलो प्रति बीघा औसत निकल रहा है।
— दिन में गर्मी, राते होने लगी ठंडी विगत एक सप्ताह से तापमान में तेजी देखी जा रही है। वहीं रातें ठंडी होने लगी है। मौसम विभाग के अनुसार तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है। 22 सितम्बर को शहर का अधिकतम तापमान 31.6, न्यूनतम 25.7 डिग्री था, जो 29 सितम्बर को चढ़कर अधिकतम 38, न्यूनतम 27.7 डिग्री हो गया। बढ़ते तापमान के चलते आद्रता भी घटती नजर आ रही है। 22 सितम्बर को शहर की सुबह की आद्रता 81, शाम की 73 प्रतिशत थी, जो 29 सितम्बर को घटकर सुबह की आद्रता 45, शाम की 22 प्रतिशत रह गई।
— एक बार भी नहीं खुले बांधों के गेट इस साल बंगाल की खाड़ी की अपेक्षा अरब सागर का मानसून ज्यादा सक्रिय होने से राजस्थान, मध्यप्रदेश सीमा में आशानुरूप बरसात नहीं हुई। ऐसे में चम्बल नदी पर मध्यप्रदेश व राजस्थान की सीमा में बने बांधों के गेट नहीं खुले हैं। बरसाती सीजन में जो भी पानी आया, खाली बांध भरते गए। जल संसाधन विभाग से प्राप्त बांधों की रिपोर्ट के मुताबिक गांधी सागर बांध 1312 फीट की पूर्ण भराव क्षमता के मुकाबले 1301.40 ही भर पाया। अभी भी यह 10.60 फीट खाली है। वहीं राणा प्रताप सागर बांध भी 1157.50 फीट की पूर्ण भराव क्षमता के मुकाबले 1146.16 फीट ही भर पाया। अभी भी यह 11.44 फीट खाली है। वहीं जवाहर सागर बांध 980 फीट के मुकाबले 978.30, कोटा बैराज 854.50 फीट के मुकाबले 853.80 फीट भरा हुआ है।