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क्रिकेट टीम बनाने का जुनून कैसे सवार हुआ? इस पर चौहान का जवाब सुनिए। चौहान कहते हैं कि मैंने दिव्यांग क्रिकेटर अतुल श्रीवास्तव को व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलते देखा तो लगा कि जब वे खेल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं? फिर ख्याल आया अकेले कैसे खेलूंगा, प्रेक्टिस के लिए टीम तो चाहिए। बस फिर बाकी टीम बनाने में जुट गया। दिव्यांग साथियों को समझाया, पहले तो सबने मना किया, लेकिन मैं भी अड़ा रहा तो वे साथ हो लिए। बस बन गई दिव्यांग इलेवन स्टार टीम। यही नहीं, यह टीम पिछले दिनों हुई एक प्रतियोगिता में ट्राफी भी जीत चुकी है।
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टीम में 20 दिव्यांग, नियमित अभ्यास
टीम में कोटा के विभिन्न क्षेत्रों के 20 दिव्यांग युवक शामिल हैं। यह टीम पिछले 2 माह से जेके पेवेलियन में अभ्यास कर रही है। पिछले दिनों इस हौसलामंद टीम ने लायंस क्लब की ओर से ग्वालियर में दिव्यांगों के लिए आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता में न केवल भाग लिया, बल्कि विजेता ट्रॉफी भी हासिल की।
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अन्य जिलों में भी प्रयास
चौहान ने बताया कि अब अन्य जिलों में भी दिव्यांगों की क्रिकेट टीम तैयार करने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं। बूंदी, बारां, झालावाड़ में टीमें तैयार हो चुकी हैं। प्रदेश में सीकर में भी ऐसी टीम बन गई है।
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कोटा में प्रतियोगिता के प्रयास
चौहान बताते हैं कि ग्वालियर से ट्रॉफी जीतने के बाद टीम के हौसले में इजाफा हुआ है। अब कोशिश कर रहे हैं कि जिला प्रशासन की मदद मिल जाए तो कोटा में 3 दिसम्बर को विकलांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो जाए।
अतुल श्रीवास्तव दिव्यांगों के क्रिकेट को समर्पित नेशनल आइकन हैं जिन्होंने अपने 4 क्रिकेटर दोस्तों के साथ मिलकर 2007 में डिसेबल्ड सपोर्टिंग सोसायटी आगरा की स्थापना की। वे दो दशक से क्रिकेट जगत में सक्रिय इस दिव्यांग खिलाड़ी हैं ने न केवल यूपी में दिव्यांगों की क्रिकेट टीम बनाई, बल्कि यूपी से बाहर निकलकर भारत की टीम के गठन के लिए भी मुहिम में लगे रहे। भारतीय टीम के गठन के बाद वे दिव्यांगों के क्रिकेट को अन्तरराष्ट्रीय मंच देने की मुहिम में जुटे। श्रीलंका पाकिस्तान थाइलैंड समेत आधा दर्जन देशों में क्रिकेट खेला। अभी वे भारतीय व्हील चेयर क्रिकेट टीम के कप्तान हैं।