महापौर महेश विजय के नेतृत्व में बुधवार को मेला समिति ने जिला कलक्टर से भेंटकर मेला अधिकारी पर मनमानी करने तथा समिति के निर्णयों की पालना नहीं करने की शिकायत की थी। अधिकारियों और मेला समिति के बीच विवाद बढऩे का असर मेले के कार्यक्रम पर भी पडऩे लग गया है। दो दिन पहले मेले में बनाई जाने वाली यज्ञशाला को निरस्त कर दिया गया था।
महापौर महेश विजय ने कहा की दशहरा मेला निगम का मेला नहीं है, जनता का मेला है। इसके भव्य आयोजन की सामूहिक जिम्मेदारी है। मेले में हर कार्यक्रम सुव्यवस्थित और बेहतर रूप से आयोजित किए जाएं, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकारियों के असहयोगात्मक रवैये के कारण ही कार्यक्रम निरस्त करने
पड़ रहे हैं।
मेले में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान 24 अक्टूबर तक कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला मजिस्ट्रेट ने 7 कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। आदेश के अनुसार निगम उपायुक्त कीर्ति राठौड़ को श्रीराम रंगमंच के वीआईपी गेट पर, निगम उपायुक्त राजपाल सिंह को वीआईपी गेट एन्ट्री के लिए, उपायुक्त ममता तिवारी को विजयश्री रंगमंच एवं वीआईपी ब्लॉक के लिए, कुल सचिव वद्र्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय शंभुदयाल मीणा को विजयश्री रंगमंच के सामने, उप सचिव नगर विकास न्यास अम्बालाल मीणा को रंगमंच के सामने ब्लॉक 3 व 4 के पीछे, उप निदेशक स्थानीय निकाय विभाग दीप्ति रामचन्द्र मीणा को रंगमंच के बाईं ओर तथा जिला रसद अधिकारी बालकृष्ण तिवारी को रंगमंच के दाईं ओर कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है।
जांच शुरू नहीं
महापौर की ओर से रावण के पुतले के सिर का दहन नहीं होने तथा खामियों की जांच के लिए गठित कमेटी ने दूसरे दिन गुरुवार को जांच शुरू नहीं की है। शाम तक जांच में शामिल पार्षदों के पास जांच के आदेश भी नहीं पहुंचे हैं, जबकि सात दिन में जांच पूरी करनी है।