उसने नहीं चुना ब्रोकन टेल का रास्ता
बाघों के रणथम्भौर से मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के दो रास्ते माने गए है। एक चम्बल नदी से होते हुए कालीसिंध नदी के रास्ते गागरोन होते हुए मुकुंदरा का रास्ता है। पूर्व आईएफएस अधिकारी वीके सालवान ने बताया कि इस रास्ते पर पहले ब्रोकन टेल व टी 35 निकली थी। इसमें से ब्रोकन टेल मुकुंदरा पहुंच गया था और टी 35 सुल्तानपुर के पास ही रुक गई थी। वहीं दूसरा रास्ता रामगढ़ अभयारण्य होते हुए हाइवे पार कर कालंदा के जंगल से होते हुए जवाहर सागर व मुकुंदरा पहुंच जाए। वर्तमान में टी 91 ने यह रास्ता पकड़ा है। यह सथूर के पास के क्षेत्र में है। विभाग को संशय है कि यह हाइवे पार कर कालंदा की ओर निकल गया है।
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पहुंचा बूंदी के आबादी क्षेत्र में, फुट प्रिंट मिले
बाघ टी 91 गत 10 दिसम्बर को रामगढ़ अभयारण्य से बाहर निकलकर बूंदी के जंगलों में आ गया था। यहां से 11 दिसम्बर से इसके पगमार्क नहीं मिल रहे थे। ऐसे में विभाग की नींद उड़ी हुई थी। गत दिनों बाघ की जानकारी लेने पहुंचे मुख्य वन संरक्षक ने भी इसको लेकर काफी नाराजगी जाहिर की। इसके बाद रामगढ़ अभयारण्य की टीम को भी इसकी तलाश में लगाया गया। गुरुवार को बाघ के पगमार्क बूंदी के पास ही सथूर व फूलसागर के आसपास के क्षेत्र में देखे गए। हालांकि बाघ की वास्तविक स्थिति का अब भी पता नहीं लग सका है।
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टी-91 की ट्रेकिंग जारी है। बूंदी में गुरुवार को उसके पगमार्क मिले हैं। कालंदा के जंगल से मुकुंदरा अधिक दूरी पर नहीं है। बाघ किधर जाता है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन मुकुंदरा के आसपास ही है।
घनश्याम शर्मा, मुख्य वन संरक्षक, कोटा वन्यजीव