पता नहीं कितने टेस्ट लगे डेंगू की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग के अधिकारी कितने संजीदा हैं, इसका एक ओर उदाहरण सीएमएचओ ऑफिस ने पेश किया। साब को यह तक पता नहीं कि कोटा में डेंगू जांच के लिए सेन्ट्रल लैब में कितने टेस्ट सीजन में लगे। उनके ऑफिस के कार्मिक तो सिर्फ पॉजीटिव मरीज गिन रहे हैं, वो भी कम। पत्रिका संवाददाता ने सीएमएचओ ऑफिस से डेंगू मरीजों के टेस्ट की रिपोर्ट मांगी तो पूरे संभाग के पॉजीटिव मरीजों की रिपोर्ट थमा दी।
कमेटी बनाई, नहीं हुई कार्रवाई शहर में चिकित्सा विभाग की नाक के नीचे झोलाछाप क्लिनिक चला रहे हैं। सीएमएचओ ऑफिस से कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा। सीएमएचओ ने तीन सदस्यीय टीम बनाई, लेकिन टीम ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। उधर, टीम के सदस्य सहायक औषधि नियंत्रक देवेन्द्र गर्ग ने बताया कि सीएमएचओ कार्यालय ने टीम तो बना दी, लेकिन आदेश नहीं दिया। आदेश मिलते ही कार्रवाई करेंगे।
गले की फांस बनी मौतें कोटा में डेंगू से इस सीजन में 55 मौतें हो चुकी है। बावजूद सरकार हकीकत को स्वीकार नहीं कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये मौतें बीमारियों से नहीं हुई तो आखिर में किससे हुई है। यह प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे रहा है। यह प्रश्न अब सरकार के गले की भी फांस बन गया है।