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नहीं होती सफाई
वैसे तो अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम निगम सीमा में आती है। निगम सफाई कर्मचारियों की साफ-सफाई करने की ड्यूटी भी लगी हुई है। लेकिन यहां महीनों तक सफाई नहीं होती। सड़कों पर गंदगी फैली रहती है। चारों ओर उठती दुर्गंध से रहवासी बेहाल हैं।
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चार मंजिल पर ले जाते पानी
अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में वैसे तो उच्च जलाशय बना हुआ है। प्रत्येक फ्लैट के लिए ऊपरी मंजिल पर प्लास्टिक की टंकियां रखी हुई हैं लेकिन उच्च जलाशय का टैंक नलकूप से पूरा नहीं भरता। ऐसे में यहां 10-15 मिनट ही नल आकर रह जाता है। ग्राउंड फ्लोर के बाशिंदों को तो पेयजल की परेशानी नहीं, लेकिन तीसरी, चौथी मंजिल पर रहने वाले परिवारों को या तो बूस्टर लगाकर पानी चढ़ाना पड़ता है। लाइट नहीं आने पर बाल्टियां भर कर ले जाना पड़ता है। छतों पर लगी कई प्लास्टिक की टंकियां टूट चुकी हैं। इनमें भरा बरसाती पानी छतों में फैला है। ऐसे में पानी का रिसाव दीवारों में हो रहा है। इसके चलते दीवारों में सीलन तक आई हुई है।
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यह बोले रहवासी
परवीन बानो का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी पेयजल की है। नल तो लगवा दिए, लेकिन मात्र 15-20 मिनट पानी आता है। ऐसे में या तो मोटर चलानी पड़ती है या फिर हैंडपम्प से पानी लाना पड़ता है।
पार्वती बाई का कहना है कि गांव छोड़ कर तो शहर में आकर बसे, लेकिन यहां भी राहत नहीं मिली। गंदगी, पेयजल की समस्या बरकरार है। बड़ी टंकी तो बना दी, लेकिन वह तो भरती ही नहीं। नलों में पानी कहां से आएगा।