डायमंड्स प्रोजेक्ट के तहत लंग्स और ब्रेस्ट कैंसर की जांच पर जोर दिया गया है। इसका प्रमुख कारण है कि भारतीय परिस्थितियों में पुरुषों में लंग्स (फेफड़े) और महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। प्रोजेक्ट के तहत स्तन और फेफड़ों के कैंसर से संबंधित परीक्षणों की स्थापना, मानकीकरण और रिपोर्टिंग के लिए एक तेज और डिजिटल प्रणाली विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे।
प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में चिकित्सकों, प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और मरीजों को भी लैब में उपलब्ध जांचों की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज के बीच कैंसर रोगियों को रैफर करने के लिए भी एक नेटवर्किंग सिस्टम विकसित किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज कोटा में स्थापित की जाने वाली लैब में उपकरणों व संसाधनों के लिए एक मुश्त 50 लाख रुपए उपलब्ध करवाए जाएंगे। लैब में साइंटिस्ट (सी), रिसर्च अस्सिटेंट, लैब टेक्निशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर तथा बहुउद्देशीय कर्मचारी के 6 पद रहेंगे। स्टाफ, वर्कशॉप, प्रशिक्षण सहित अन्य कार्यों के लिए हर वर्ष करीब 55 लाख का बजट अलग से दिया जाएगा।
स्पीकर बिरला के प्रयासों से अब तक मेडिकल कॉलेज कोटा को करीब 26 करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुके हैं। इसमें 17 करोड़ की लागत वाली बीएसएल 3 लैब, 3 करोड़ का जीनोम सिक्वेंसिंग प्रोजेक्ट, 3.5 करोड़ का वायरल डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च प्रोजेक्ट तथा करीब 3.25 करोड राशि का डायमंड्स प्रोजेक्ट शामिल है।