मोदी से मिलने की तमन्ना मेडल विजेता विद्यार्थियों ने कहा कि जिस तरह खेल के ओलंपिक में विजेता रहने वाले खिलाडिय़ों को पुरस्कृत किया जाता है। उसी प्रकार यह परीक्षा भी अकेडमिक्स के ओलम्पिक की तरह है। हम भी प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी से मिलने की इच्छा रखते हैं। 50 देशों के विद्यार्थियों से प्रतिस्पर्धा कर श्रेष्ठता सिद्ध की है। रूस व ताइवान के बाद भारत को तीसरा स्थान मिला। पूरी दुनिया भारत को बहुत सम्मान से देखती हैं ।
मेंटर्स ने किया गाइड स्वर्ण पदक छात्रा मुदिता गोयल ने कहा कि यह मेरे लिए विदेश जाने का यह पहला अवसर था। सब कुछ नया था। वहां पहुंचते हमारा जोरदार स्वागत हुआ। हमें मेंटर्स दिए गए, ताकि अकेलापन महसूस नहीं हो। वे हमें हर जगह गाइड करते थे। मैं वेजीटेरियन हूं तो हमें हर फू ड के बारे में बताते। विद्यार्थियों में छात्राएं भी बहुत थी। बोलीविया की टीम में तो सभी छह छात्राएं थी, मैं इस सफ लता का श्रेय शिक्षक व माता-पिता को देना चाहती हूं।
आंखें आई थी छलक स्वर्ण पदक विजेता छात्र अखिल जैन ने बताया कि वहां कई देशों के विद्यार्थियों से मिलने का मौका मिला। इंडिया की तैयारी अन्य की तुलना में अच्छी थी। परीक्षा में थ्योरी आसान रही, जबकि पे्रक्टिकल कठिन। भारत के लिए विशेष सम्मान भी देखा। दूसरे देशों के विद्यार्थियों ने हमें बहुत प्यार दिया। लौटे तो कई विदेशी बच्चों के आंखों में आंसू थे। वे
ताजमहल देखना चाहते हैं। मैं इंजीनियरिंग के बाद आईएएस की तैयारी करूंगा।
थैंक्यू कोटा, सपना पूरा हुआ सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाले छात्र आदर्शराज शाह ने कहा कि यहां आकर मेरा सपना पूरा हो गया। मैं मुम्बई से ही आईजेएसओ में मेडल लाने का सपना देखकर कोटा आया था। बड़े भाई यशराज ने भी मेरी मदद की। नीदरलैंड का अनुभव अच्छा रहा। वहां हमने दूसरे देश के विद्यार्थियों के साथ फु टबाल मैच खेला, हमारी टीम जीती। हमने स्नो फाइट भी खेली। पाकिस्तान के विद्यार्थियों से मिले। उन्होंने काफी सम्मान दिया। वहां बहुत सफाई थी। फिलहाल इंजीनियरिंग करना चाहता हूं।