scriptनर्स और कंपाउंडरों के हवाले सीएचसी-पीएचसी, बिना इलाज घर लौट रहे मरीज | Impact Off Doctors strike in Rajasthan | Patrika News
कोटा

नर्स और कंपाउंडरों के हवाले सीएचसी-पीएचसी, बिना इलाज घर लौट रहे मरीज

सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल पर जाते ही कोटा में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। सीएचसी-पीएचसी कंपाउंडर और नर्सों के भरोसे चल रहे हैं।

कोटाNov 06, 2017 / 11:25 am

​Vineet singh

Impact Off Doctors strike in Rajasthan, Doctors Resignation in Rajasthan, Service Doctors Association Rajasthan, Doctors strike in Rajasthan, Rajasthan Patrika Kota, Kota Rajasthan Patrika

Impact Off Doctors strike in Rajasthan

राजस्थान के 10 हजार सरकारी चिकित्सकों के हड़ताल पर जाते ही जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी की सेवाएं लड़खड़ा गई हैं। सरकार ने व्यवस्थाएं संभालने के लिए मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर्स, आयुर्वेद और युनानी चिकित्सा सेवा के डॉक्टर्स के साथ रेलवे चिकित्सा सेवा के डॉक्टर्स को भी इन अस्पतालों में आपातकालनी ड्यूटी पर तैनात किया है, लेकिन इसके बाद भी हालात संभलने का नाम नहीं ले रहे। हालात यह है कि कोटा के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर सीएचसी और पीएचसी नर्स और कंपाउंडरों के ही भरोसे चल रही हैं।
 

सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 33 सूत्रीय मांगों को लेकर राजस्थान के 10 हजार से ज्यादा चिकित्सक हड़ताल पर चले गए हैं। कोटा जिले के 240 सेवारत चिकित्सकों ने अपना त्याग पत्र संघ को सौंप दिए। जबकि पूरे प्रदेश से 10 हजार से भी ज्यादा चिकित्सक आज सरकार को अपना इस्तीफा सौंपेगे। डॉक्टरों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के रेजीडेंट और रेलवे के डॉक्टरों के साथ-साथ आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों की ड्यूटी सरकारी अस्पतालों में लगाई है, लेकिन इसके बावजूद पहले दिन ही हालात बेकाबू होने लगे हैं।
यह भी पढ़ें

हॉस्पिटलों की ओर दौड़े रेलवे और आयुर्वेद चिकित्सक चिकित्सक, लगी मरीजों की भीड़


ग्रामीण इलाकों में बिगड़े हालात

ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों की हड़ताल का खासा असर देखने को मिल रहा है। सांगोद सीएचसी पर तैनात चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से हालात बिगड़ गए हैं। यहां वैकल्पिक चिकित्सा व्यवस्था के तहत 2 होम्योपैथिक, 1 यूनानी ओर 1 आयुर्वेदिक चिकित्सक लगाए गए हैं, लेकिन उनकी लिखी दवाएं अस्पताल में मौजूद ना होने से स्थिति बिगड़ गई है। ऐसे में तमाम मरीज बिना इलाज के ही घर वापस लौट रहे हैं। जबकि गंभीर मरीजों को चिकित्सक खुद ही निजी अस्पतालों में जाने की सलाह दे रहे हैं। सांगोद इलाके की सीएचसी और पीएचसी पर तैनात सभी सरकारी चिकित्सक भूमिगत हो गए हैं और उन्होंने अपने फोन तक बंद कर लिए हैं। सीएचसी और पीएचसी पर एहतियातन पुलिस जाप्ता भी तैनात कर दिया गया है।
यह भी पढ़ें

जिस हिस्ट्रीशीटर को तलाश रही थी राजस्थान की पुलिस, भाजपा के विधायक पहना रहे थे उसे माला


कंपाउंडर कर रहे हैं इलाज

कोटा जिले के मोडक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मोड़क में भी चिकित्सकों की हड़ताल का असर साफ-साफ दिखाई दे रहा है। चिकित्सकों की कमी के चलते यहां आयुष चिकित्सकों के साथ-साथ कंपाउंडरों को ओपीडी लगानी पड़ रही है। मरीज देख रहे कंपाउंडर और नर्स तीमारदारों से साफ-साफ कह रहे हैं कि सामान्य बीमारियों का ही इलाज मिल सकेगा। इमरजेंसी में मरीजों को सिर्फ रैफर किया जाएगा। जिसके चलते तमाम मरीज निजी चिकित्सालयों में जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें

राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिया विवादित बयान, बोलीं- महिलाओं को काट रहा है डेंगू का मच्छर, मुझे बहुत चिंता है…


फार्मासिस्ट और लैब अटेंडेंट के भरोसे मरीज

आदर्श राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द सीमलिया मे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा अन्जुम निशाद के साथ-साथ सभी चिकित्सक अवकाश पर चले गए हैं। उनकी जगह आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी गिरिराज नागर आयुर्वेदिक पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन पीएचसी पर आयुर्वेद की दवाएं ही मौजूद नहीं है। ऐसे में फार्मासिस्ट , नर्सिंग स्टाफ और प्रयोगशाला सहायकों को भी मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। सुल्तानपुर सीएचसी का भी हाल कुछ ऐसा ही है।

Hindi News / Kota / नर्स और कंपाउंडरों के हवाले सीएचसी-पीएचसी, बिना इलाज घर लौट रहे मरीज

ट्रेंडिंग वीडियो