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जैमर की दिशा गड़बड़
जेल में बंदियों का मोबाइल नेटवर्क खत्म करने के लिए यहां 4 जी जैमर लगाए गए। लेकिन, इनकी दिशा मिलीभगत से इस तरह कर रखी है कि अन्दर से आराम से मोबाइल काम करते हैं जबकि जेल के बाहर आस पास नहीं। बंदी परिजनों व वकीलों से बात कर सकें इसके लिए दो साल पहले एसटीडी बूथ शुरू किया लेकिन उसे अब तक जेल प्रशासन ने चालू नहीं किया। यह धूल खा रही है।
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चैंकिंग में नहीं मिलते मोबाइल
जेल में बंदी लम्बे समय से मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे। यह बात बत्तीलाल मीणा व अनूप पाडिय़ा के एसीबी की गिरफ्त में आने के बाद अप्रेल 2016 में साबित भी हुई थी। तत्कालीन जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक ने लवाजमे के साथ छापा मार जेल का औचक निरीक्षण किया था लेकिन उस समय भी उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। जाहिर है, मिलीभगत से इन्हें इधर-उधर छिपा दिए जाते हैं।
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आरोप गलत
कोटा जेल अधीक्षक सुधीर प्रकाश पूनिया ने बताया कि एसटीडी बूथ में बंदियों की रूचि नहीं है। वे मुलाकात के समय ही बात करते हैं। बंदियों की वसूली का आरोप पूरी तरह गलत है। ऐसा कुछ जेल में नहीं हो रहा। कोई शिकायत भी नहीं आई।