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रह जाएंगे सिर्फ 9 रवानगी केंद्र अगले साल से राजस्थान से हज के लिए जाने वालों को पड़ोसी राज्यों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ सकता है। नई हज नीति के लिए गठित कमेटी ने अपनी सिफारिशों में इस ट्रांजिट प्वाइंट घटाने की सिफारिश की है। फिलहाल हज यात्रियों के 21 रवानगी स्थल हैं जिन्हें इस कमेटी ने घटाकर 9 करने का प्रस्ताव रखा है। यदि सरकार ने कमेटी की सिफारिशें मान ली तो कोटा या हाड़ौती ही नहीं पूरे राजस्थान के हज यात्रियों को रवानगी के लिए जयपुर के बजाय पड़ोसी राज्यों के शहरों में जाना पड़ेगा। भविष्य में दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलूरू और कोचीन में ही केन्द्र बनाए जाने की सिफारिश की गई है।
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बढ़ेगा मेहरम कोटा भारतीय हज समिति और निजी टूर ऑपरेटरों के बीच कोटे का वितरण अगले 5 वर्षों के लिए 70:30 के अनुपात में बनाया जा सकता है। राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के बीच सीटों का वितरण उनकी मुस्लिम आबादी के अनुपात के साथ-साथ प्राप्त आवेदनों के अनुपात में करने की भी सिफारिश की गई है। मेहरम के लिए कोटा 200 से बढ़ाकर 500 किया जा सकता है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 2013-17 के लिए सरकार की हज नीति की समीक्षा करने तथा हज नीति 2018-22 के वास्ते सुझाव देने के लिए एक समिति गठित की थी। इसकी रिपोर्ट तैयार होने के बाद शनिवार को सार्वजनिक कर दी गई।
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सिफारिशों में ये भी शामिल 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को मेहरम के बिना चार या इससे अधिक के समूह में जाने की अनुमति दी जाए। मक्का, अजीजीया और आस-पास के क्षेत्रों में केवल एक श्रेणी के आवास यात्रियों के लिए परिवहन सुविधाओं के साथ किराए पर लिए जाएं। मदीना में सभी आवास केवल मरकजिया में ही किराए पर लिए जाएं। भारतीय हाजियों का ठहराव मीना की पारंपरिक सीमाओं के भीतर सुनिश्चित किया जाए। अदाही कूपन अनिवार्य बनाए जाएं।
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पुराने केन्द्रों पर होगा प्रशिक्षण समिति ने सिफारिश की है कि पुराने रवानगी स्थलों के बंद होने पर इनका उपयोग वर्ष भर प्रशिक्षण, हज यात्रियों के आमुखीकरण और समुदाय के लिए अन्य उत्पादक प्रयोगों के लिए किया जाए।