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जलस्रोत नहीं भरना भी कारण
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक भी सर्दी का असर नजर नहीं आने का प्रमुख कारण इस साल मानसून की कम सक्रियता माना जा रहा है। नदी, तालाब, परम्परागत जल स्रोत लबालब नहीं हो पाए। आज भी संभाग के कई जलस्रोत, बड़े बांध, तालाब, डेम, बावडिय़ों में मात्र छिछला पानी ही बचा है।
उम्मेदगंज कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक एच.पी. मेघवाल ने बताया कि सर्दी ठीक नहीं पडऩे का असर फसलों पर है। दिन में धूप से अगेती की फसल में सरसों, धनिया पर आए फूल मुरझाने लगे हैं। चने के पौधे का विकास क्रम थम सा जाता है।
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गेहूं के पौधे के विकास पर भी असर है।
कोटा मौसम विज्ञान विभाग मौसम विज्ञानी नंदबिहारी मीणा का कहना है कि घटते पेड़, बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। साल दर साल साल तापमान में तेजी आ रही। बारिश कम हो रही है। अब तक कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ रही। बरसात का सीजन भी घट गया है।