ये दिया प्रश्न का उत्तर जल संसाधन मंत्री ने जवाब में कहा कि 2012-13 में 1274 करोड़ के जीर्णोद्धार कार्य की घोषणा की गई थी। इसके तहत 803.25 करोड की वित्तीय स्वीकृतियां जारी की गई। प्रथम चरण में 228.82 करोड़ के कार्यादेश हुए लेकिन संवेदक ने सितम्बर 2017 तक 106.515 करोड़ का ही कार्य पूरा किया। द्वितीय चरण के शेष एवं तृतीय चरण के कार्य राशि 411.17 करोड के कार्यादेश अप्रेल 2017 में दिए गए। लेकिन द्वितीय चरण के 53.73 करोड़ के कार्य अब तक संवेदक द्वारा प्रारम्भ नहीं किए गए। इसलिए पुन: निविदा आमंत्रण प्रक्रियाधीन है।
एक्सईएन को 16 सीसी की चार्जशीट मंत्री ने बताया कि चम्बल नहरों के जीर्णोद्धार कार्यो की गुणवत्ता सम्बन्धी अनियमितता की शिकायत प्राप्त हुई थी। कार्य गुणवत्ता पूर्वक नहीं होने पर एक कनिष्ठ अभियन्ता, एक सहायक अभियन्ता को निलम्बित किया गया तथा अधिशासी अभियन्ता को 16 सीसी के तहत आरोप-पत्र कार्मिक विभाग को अग्रिम आवश्यक कारवाई के लिए भिजवाया गया है। संवेदक को डिफेक्टिव कार्य तोड़कर पुन: किए जाने के लिए निर्देशित किया गया। लेकिन संवेदक ने केवल एक पैकेज से सम्बन्धित डिफेक्ट को दुरूस्त किया। एेसे में अनुबन्ध की धारा 2 व 3 के तहत कार्यवाही की जा रही है। संवेदक की सुरक्षा राशि 10.60 करोड़ एवं 3.14 करोड़ का भुगतान रोका गया है।
‘पत्रिका’ ने उठाया था मुद्दा ‘राजस्थान पत्रिका’ ने हाल में चम्बल की नहरों की दुर्दशा और 1274 करोड़ की परियोजना के कार्य धीमी गति से चलने का मामला प्रमुखता से उठाया था। परियोजना का अभी तक एक भी कार्य पूरा नहीं हुआ। विधायक शर्मा ने पत्रिका के प्रकाशित समाचारों की कतरने भी मंत्री को दिखाई।
मंत्री को बताया नहरों के हाल विधायक शर्मा ने जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप से मुलाकात कर चम्बल नहरों की स्थिति से अवगत कराया। विधायक ने बताया कि नहरों की सफाई तक नहीं हुई। किसानों को पलेवा के लिए भी पानी नहीं मिल रहा। मंत्री ने प्रमुख शासन सचिव सीएडी को निर्देश दिए गए कि नहरों के जीर्णोद्वार कार्य में तेजी लाएं।