शादी-ब्याह के सीजन में सक्रिय हुए चोर गिरोह, खुशी के माहौल मे खलल ड़ाल दिया 40 लाख का झटका
इसके बाद ठेके को 6 माह के लिए आगे बढ़ा दिया था, जो सितम्बर में खत्म हो गया। अब कॉलेज प्रशासन के पास लोकल दवा खरीद का ठेका बढ़ाने का अधिकार नहीं रहा। ऐसे में करीब ढाई माह से दवाइयों की खरीद नहीं होने से मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां नहीं मिल पा रही। मजबूरन उन्हें बाहर से महंगे दामों पर दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।पद्मावती के विरोध में करणी सेना प्रदेशाध्यक्ष ने कहा
दीपिका पादुकोण की काट देंगे नाकइमरजेंसी में नहीं आ रही एनएस की बोतलें अस्पतालों में भर्ती होने के साथ ही हर मरीज को नोर्मल सेलाइन (एनएस) व रिंगल लेक्टोस (आरएल) की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। महज 5 से 10 रुपए की इन बोतलों को ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को 30 से 40 रुपए में बाहर से खरीदना पड़ रहा है। वहीं, इमरजेंसी में काम आने वाले केथेटर भी कई माह से अस्पताल में भी उपलब्ध नहीं है, जो दवाएं आरएमआरएस से आ रही हैं उन्हीं से काम चलाया जा रहा है।