वीडियो देखकर खा गए ना धोखा, ये गोवा नहीं राजस्थान है
लहकी पर झूमते हुए मांगी मन्नतें आदिवासियों ने अब भी अपनी अनुपम संस्कृति और सभ्यता को बचा कर रखा है। चाहे शादी-ब्याह हो या फिर खुशी का कोई और मौका गाहे-बगाहे वह प्रकृति से जुड़े इन अनूठे आयोजनों को जीवंत करते नजर आ जाते हैं। ऐसे में बात जब पूरे परिवार के पालन पोषण और मेहनत के फल की हो तो फिर आदि देवता से खुशियों की मन्नत मांगने का उत्साह और भी बढ़ जाता है। सदियों से कोटा और आसपास के इलाकों में बसे आदिवासी सहरिया लोग बारिश का दौर शुरू होते ही लहकी नृत्य का आयोजन करते हैं। इस लोक नृत्य के जरिए वह इंद्र देवता अच्छी फसलों का वरदान मांगते हैं। वहीं कर्म देवता से उनके द्वारा साल भर की गई मेहनत के अच्छे परिणाम।सेल्फी ले रहे थे अपनी, दिख गया पैंथर
अजरोडा में रात भर सजी लहकीकोटा के अजरोड़ा गांव में बीती रात लहकी का आयोजन किया गया। जिसमें अजरोडा के आसपास बसे सहरिया आदिवासियों के दर्जनों गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए। बात खुशियों का वरदान मांगने की थी, इसलिए गैर सहरिया जाति के लोगों ने भी लहकी के आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। रात घिरते ही लोगों ने एक बड़ा सा घेरा बनाया और लहराते-झूमने हुए 10 हजार साल से भी ज्यादा पुराना लहकी नृत्य शुरू किया। प्राचीन वाद्य यंत्रों और सामुहिक सुरों में छिड़ी तान इस लय को भोर तक परवान चढ़ाती रही। रात भर आस्था और मस्ती का ऐसा सैलाब उमड़ता रहा कि दूर दूर से लहकी का आयोजन देखने आए लोग भी झूमे बिना नहीं रह सके।