कोटा. सरकार बदलने और अशोक गहलोत के बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण के बाद अब पूरे प्रदेश की नजर मंत्रिमंडल के स्वरूप पर टिकी हुई है। मंत्रिमंडल चुनने का संवैधानिक अधिकार मुख्यमंत्री का ही होता है। कम से कम प्रदेश के पहले मंत्रिमंडल में तो कुछ ऐसा ही हुआ था। जब देश आजाद हुआ तो प. हीरालाल शास्त्री राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री चुने गए । हालांकि तब प्रदेश में पहले चुनाव होने बाकी थे लेकिन रियासतों के बीच समझौतों के चलते हीरालाल शास्त्री को कमान मिली। तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की कूटनीति की वजह से ही राज्य में लोकतंत्र लागू हुआ । हालांकि लोकतंत्र सेनानी जयनारायण व्यास और माणिक्यलाल वर्मा जैसे बड़े नेता गोकुलदास भट्ट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन सरदार का विरोध नहीं कर सकते थे। कई राजाओं की पहली पसंद भी शास्त्री ही थे।
कुछ ऐसा था प्रदेश का पहला मंत्रिमंडल
हीरालाल शास्त्री मंडले में कुल तीन शपथग्रहण हुए। पहला 30 मार्च 1949, दूसरा 8 अप्रेल 1949 और तीसरा 13 अप्रेल 1949 को हुआ। 1. हीरालाल शास्त्री (प्रधानमंत्री -तब के अनुसार)
2. सवाई मान सिंह (राजप्रमुख)
3. सिद्धराज ढड्डा (मंत्री)
4. फूलचंद बाफना (मंत्री)
5. रावराजा हणूत सिंह (मंत्री)
6. नृसिंह कछवाहा (मंत्री)
7. वेदपाल त्यागी(मंत्री)
8. भूरेलाल बया (मंत्री)
हीरालाल शास्त्री मंडले में कुल तीन शपथग्रहण हुए। पहला 30 मार्च 1949, दूसरा 8 अप्रेल 1949 और तीसरा 13 अप्रेल 1949 को हुआ। 1. हीरालाल शास्त्री (प्रधानमंत्री -तब के अनुसार)
2. सवाई मान सिंह (राजप्रमुख)
3. सिद्धराज ढड्डा (मंत्री)
4. फूलचंद बाफना (मंत्री)
5. रावराजा हणूत सिंह (मंत्री)
6. नृसिंह कछवाहा (मंत्री)
7. वेदपाल त्यागी(मंत्री)
8. भूरेलाल बया (मंत्री)