भोजन पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण है या नहीं तथा मीनू अनुसार भोजन दिया जा रहा या नहीं। योजना को पारदर्शी एवं बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया करवाने की मंशा से माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से अब नई पहल की गई है। जिसके तहत संस्था प्रधान या मिड डे मील प्रभारी को रोजाना अतिथि के रूप में पांच विद्यार्थियों की माताओं को स्कूल में बुलाकर उन्हें भोजन की जांच करवाई जाएगी। वे मिड डे मील परोसने के समय स्कूल आएंगी और भोजन चखकर उसकी गुणवत्ता की जांच करेगी। कमी होने पर सुधार के लिए भी अवगत कराएंगी। हालांकि माताओं के लिए यह निरीक्षण ऐच्छिक होगा। उल्लेखनीय है कि सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक पोषाहार मिले, इसके लिए विभाग की ओर से मिड डे मील योजना में प्रतिदिन पोषाहार मीनू तय किया गया है।
सूत्रों की माने तो सरकारी स्कूलों में वैसे तो पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण भोजन परोसा जाता है। इससे पहले भी कई बार पोषाहार की गुणवत्ता को लेकर विभाग की ओर से अभिभावकों व अन्य लोगों की भूमिका तय की गई। बावजूद इसके कई जगह कोताही बरती जा रही है। कई स्कूलों में बच्चों को मीनू अनुसार भोजन नहीं परोसा जाता है। इस कारण यह नई व्यवस्था लागू की गई है। जिसमें अब माताएं रोजाना जाकर भोजन की जांच करेगी।
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मिड डे मील योजना में सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5वीं तक के विद्यार्थियों को 100 ग्राम गेहूं या चावल तथा कक्षा 6 से 8वीं तक विद्यार्थियों को 150 ग्राम गेहूं या चावल से बने व्यंजन खिलाने होते है। लेकिन कई स्कूलों में शिकायतें आती हैं कि बच्चों को तय मापदंड अनुसार पोषाहार नहीं मिल रहा। इसके लिए अब नई व्यवस्था के आदेश जारी किए गए है। विभाग का मानना है कि इससे गुणवत्तापूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
सोमवार- रोटी-सब्जी
मंगलवार- दाल चावल
बुधवार- दाल रोटी
गुरूवार- नमकीन चावल खिचड़ी
शुक्रवार- दाल रोटी
शनिवार- सब्जी रोटी
नए आदेश के अनुसार संस्था प्रधान व मिड डे मील प्रभारी द्वारा स्कूल में रोजाना रेंडम तरीके से पांच विद्यार्थियों की माताओं को स्कूल में आमंत्रित कर भोजन की गुणवत्ता की जांच करवाई जाएगी। वे स्वयं भोजन चखकर उसकी गुणवत्ता जांच कर सकेगी। इसे लेकर सभी स्कूलों में दिशा निर्देश जारी कर आदेशों की पालना को लेकर निर्देशित किया गया है।
– पुरुषोत्तम मेघवाल एसीबीईओ सांगोद