scriptऐसा क्‍या हुआ कि कम आए गधे, कभी मैदान भरा रहता था, आज एक कौने में सिमटे | Donkey Fair 2017 in Kota | Patrika News
कोटा

ऐसा क्‍या हुआ कि कम आए गधे, कभी मैदान भरा रहता था, आज एक कौने में सिमटे

वजूद खो रहा उम्मेदगंज का गर्दभ मेला, 52 बीघा में 52 गधे भी नहीं, राजस्थान भर में प्रसिद्ध था कभी यह मेला

कोटाNov 03, 2017 / 11:41 pm

Deepak Sharma

donkey fair

donkey fair

कोटा . आधुनिकता का असर हमारे मेले व संस्कृतियों पर भी देखने को मिल रहा है। कम से कम कोटा के उम्मेदगंज के गर्दभ मेले को देखकर तो यही लग रहा। कसर्तिक पूर्णिमा पर शनिवार से औपचारिक शुरू होने जा रहे प्रदेश भर में विख्यात इस दो दिवसीय मेले की सांसें लडख़ड़ाती ही दिख रही हैं। कभी गर्दभ खरीद-फरोख्त के बड़े केन्द्र के रूप में पहचाने जाने वाले और 52 बीघा में भरने वाले इस मेले में इस बार गिनती के 52 गर्दभ भी नजर नहीं आ रहे।
यह भी पढ़ें

video: विधायक बोले, कोटा में डेंगू से हुई मौते यह हमारे माथे पर कलंक



नहीं किसी का ध्यान
व्यापारियों ने बताया कि पांच साल पहले उम्मेदगंज ग्राम पंचायत कोटा नगर निगम में शामिल हो गई। उसके बाद से ही दिक्कतें शुरू हुई। यूं मानें कि, मेला विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया। ग्राम पंचायत के समय मेले में बिजली-पानी व साफ-सफाई की व्यवस्था होती थी, लेकिन अब व्यापारी इन सुविधाओं को तरस गए। शुक्रवार को मेले में साफ-सफाई हुई, पानी का टैंकर पहुंचा, लेकिन बिजली की व्यवस्था अब भी नहीं हो सकी। व्यापारी अंधेरे में ही ठहरे हुए हैं।
यह भी पढ़ें

खेल-खेल में बच्चे कभी-कभी खेल जाते हैं ऐसा खेल जो बना जाता है मौत का खेल



कई राज्यों से आते व्यापारी
सालों से मेले में आ रहे टोंक के व्यापारी बाबूलाल ने बताया कि भीलों की बस्ती उम्मेदगंज में ग्राम पंचायत के सहयोग से सालों से 52 बीघा की जमीन पर कार्तिक माह में दो दिवसीय गर्दभ मेला भरता रहा है। मेले में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत अन्य जगहों से व्यापारी पशु खरीद-फरोख्त के लिए आते थे और अनौपचारिक रौनक 5 दिन रहती। मेला पूरा परवान पर रहता, लेकिन अब सब फीका होने लगा है।
यह भी पढ़ें

मंत्री के फोन पर बज गई एमपी की घंटी…जानिए कैसे



कटता चावड़ी व खूंटा टैक्स
केशवरायपाटन के व्यापारी गोलू प्रजापत व कोटडादीप सिंह के व्यापारी हंसराज प्रजापत ने बताया कि नगर निगम की ओर से मेले में गर्दभ के खरीद-फरोख्त पर चावड़ी टैक्स के 10 व खूंटा टैक्स के पांच रुपए लिए जाते हैं ताकि चोरी के पशुओं से बेचान से बच सके, लेकिन निगम की ओर से अभी कोई व्यवस्था नहीं की गई। गुरुवार व शुक्रवार को बिना टैक्स कटे ही व्यापारियों ने खरीद-फरोख्त की।
यह भी पढ़ें

PM मोदी ने जिस चीता की मांगी थी जिंदगी, वो फिर मौत से भिड़ने को तैयार



मजबूती का राज दांतों में
मेले में आए व्यापारियों ने बताया कि मजबूत गर्दभ की पहचान दांतों से होती है। जिसके चार दांत होते हैं वह सबसे मजबूत गर्दभ होता है। उसके बाद तीन दांतों वाले का नम्बर। दो दांतों का गर्दभ कमजोर होता है।
यह भी पढ़ें

दो दिन पहले हुई थी डिलेवरी, डॉक्टरों ने वार्ड से निकाला, बच्चे को गोद में लेकर चढ़ी 35 सीढ़ियां



पुष्टता का पैमाना खड़े और लटके कान
व्यापारियों ने बताया कि कान खड़े और लटके होने से गर्दभ के स्वास्थ्य का पैमाना है। जिसके कान खड़े वो हष्ट-पुष्ट होता है, लटके कान का बुजुर्ग या कमजोर स्वास्थ्य का।


यह भी पढ़ें

भारत समेत कई देशों में बंद हुआ व्हॉट्सएप, नहीं जा रहे मैसेज और कॉल



हैसियत: दाम घटे, पर वजूद कायम
व्यापारियों ने बताया कि जब से ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक व अन्य संसाधन चले हैं तब से गर्दभों की मांग कम होने लगी हैं। इसके बावजूद इनका वजूद बरकरार है। कई गांवों में तंग गलियों में यह संसाधन नहीं पहुंच पाते, वहां इनको मिट्टी, बजरी ढोने में काम में लिया जाता है। हालांकि, पहले की अपेक्षा अब गर्दभ के दाम आधे रह गए। पहले जहां 20 हजार तक गर्दभ बिक जाते थे, लेकिन पांच से छह हजार तक गर्दभ बिक रहे है।

Hindi News / Kota / ऐसा क्‍या हुआ कि कम आए गधे, कभी मैदान भरा रहता था, आज एक कौने में सिमटे

ट्रेंडिंग वीडियो