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कोटा

मेरे घर…लेकर सौगात आई खुशियों की बारात

एकादशी के अबूझ मुहूर्त में एक पांडाल के नीचे कई जोड़े परिणय बंधन में बंधे तो कहीं एकल शादी समारोह में हम सफर बने ।

कोटाNov 01, 2017 / 01:37 am

​Zuber Khan

Dev Uthani Ekadashi

नामदेव समाज की ओर से आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन के दौरान आयोजित आशीर्वाद समारोह में सजधज कर बैठे दूल्हा-दुल्हन ।

कोटा . देव प्रबोधिनी एकादशी पर मंगलवार से शहरभर में मांगलिक आयोजनों की धूम शुरू हो गई। एकादशी के अबूझ मुहूर्त में कहीं एक पांडाल के नीचे कई जोड़े परिणय बंधन में बंधे तो कहीं एकल शादी समारोह में जीवन साथी का हाथ थामा। मंदिर में विशेष शृंगार किया गया। लोगों ने पूजा-अर्चना की, श्रद्धापूर्वक देव को जगाया। तुलसी संग शालिगराम का विवाह भी धूमधाम से किया गया। लोगों ने एकादशी को छोटी दीपावली के रूप में मनाया। घर-आंगन में खुशियों के दीप जलाए, आतिशबाजी की।

सजे दीप, की आतिशबाजी
एकादशी को लोगों ने छोटी दीपावली के रूप में मनाया। रात तक शहर में आतिशी नजारे देखने को मिले। बाजारों में भी दुकानें सजी मिली। शाम को घरों में दीपक जलाए गए। श्रीनामदेव समाज नगर महासभा समिति की ओर से मेडिकल कॉलेज मैदान में सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें हाड़ौती समेत अन्य जगहों से लोग आए।
सम्मेलन में 17 जोड़े परिणय बंधन में बंधे। पाणिग्रहण संस्कार के बाद यज्ञाचार्य ने नवविवाहित दम्पतियों को कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने, जीवन में एक पौधा लगाने का संकल्प कराया। समाज के करीब 60 भामाशाहों का सम्मान किया गया। महासभा के अध्यक्ष हंसराज नामा, संभागीय अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अजमेरा, युवा प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष भरत नामा ने भामाशाहों को नवाजा। इससे पहले सुबह बारात निकाली व शाम को आशीर्वाद समारोह हुआ।
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गाजर बोर आंवला, जागो बाबा सांवरा
एकादशी पर लोगों ने भगवान को बैण्ड-बाजों व ढोल-नगाड़ों से देव को जगाया। सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान ‘गाजर बोर आंवला, जागो बाबा सांवरा…, नई रूई नया कपास, जागो देवा कार्तिक मास… जैसे गीत गाते हुए देव को जगाया गया। भगवान को गन्ने, फल, मिष्ठान, पपड़ी, बेर, सिंघाड़े व मिष्ठानों का भोग लगाया। तुलसी संग शालिगराम का विवाह किया।
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अपनों की मौजूदगी में थामा हाथ
अबूझ सावे पर एक अनुमान के तौर पर 250 से 300 शादियां हुई। आयोजन स्थलों पर सुबह से देर रात तक विशेष रौनक दिखी। सुबह बारातों के आने, स्वागत-सत्कार का दौर चला। दिनभर विभिन्न रस्में निभाई गई। शुभ मुहूर्त में नए जोड़ों ने अपनों की मौजूदगी में हाथ थाम और जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई। निकासी व बारातों में घोड़ी पे होके सवार…, छोटे-छोटे भाइयों के बड़े भैया, आज बनेंगे किसी के सईयां… जैसे गीतों पर जमकर डांस किया।

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