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कोटा में बढ़ी गाय के दूध की मांग, सप्लाई हुई हाईटेक

तंदरुस्ती की चाहत ने कोटा में डेयरी मिल्क की बजाय गाय के दूध की मांग बढ़ा दी है। जिसकी सप्लाई भी अब हाईटेक हो गई है। 

कोटाAug 18, 2017 / 11:59 am

​Vineet singh

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Demand for cowmilk is large in kota

अब वह जमाना गया, जब लोग सुख सुविधाओं का परित्याग कर धन एकत्र करने में लगा रहता था। आज हर इंसान अपनी सेहत बनाए रखने के लिए अच्छा खान-पान चाहता है। इसमें व क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करता। शहर में भले ही दूधियों द्वारा दूध की सप्लाई दी जाती है। कोटा डेयरी से भी शहर में रोजाना 70 से 75 हजार लीटर दूध की सप्लाई होती है। इसके बावजूद भी लोग गाय के क्वालिटी युक्त दूध का सेवन करना चाहता है।
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खुल रहे काऊ मिल्क काउंटर और हाईटेक डेयरी फार्म 

देशी नस्ल की गाय के दूध की डिमांड शहर में लगातार बढ़ती जा रही है। देशी नस्ल की गायों के दूध की मांग को देखते हुए शहर के कई प्रशिक्षित बेरोजगारों ने काऊ मिल्क काउंटर खोलना शुरू कर दिया है। कई प्रगतिशील पशुपालकों ने हाईटेक डेयरी फार्म विकसित कर लिए हैं। जहां पर अत्याधुनिक तकनीक से गायों-बछड़ों की देखभाल की जाती है। दूध निकालते समय पूरी सावधानी बरती जाती है।
 
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मोर्डन डेयरी फार्म तैयार किए जा रहे

जिले के पशुपालकों को उन्नत तकनीक से पशुपालन की जानकारी व प्रशिक्षण देने के लिए बोरखेड़ा कृषि विज्ञान केंद्र में मोर्डन डेयरी फार्म तैयार किया गया है। जहां पर वर्तमान में गिर नस्ल की २ दर्जन गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। यहां निकलने वाला दूध काऊ मिल्क काउंटर संचालकों को सप्लाई किया जा रहा है।
 
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डिमांड का 20 फीसदी मिल्क ही हो रहा सप्लाई

शहर में काऊ मिल्क काउंटर संचालित करने वाले हरीश जोशी बताते हैं कि उन्होंने 1मई को शहर में काऊ मिल्क काउंटर संचालित किया है। जहां क्वालिटी युक्त पेक्ड फ्लेवर मिल्क, छाछ, लस्सी, श्रीखंड, घी आदि की सप्लाई की जा रही है। सीबी गार्डन, गणेश उद्यान गेट पर दूध, छाछ, लस्सी के काउंटर लगाए जाते हैं। जहां पर सुबह आठ बजे तक सारा माल बिक जाता है। काऊ मिल्क प्रोडक्ट की डिमांड इतनी है कि हम 20 फीसदी भी सप्लाई नहीं दे पा रहे हैं। हमारे पास रोजाना 200 लीटर दूध की आवक हो रही है, जबकि डिमांड 1हजार लीटर मिल्क प्रोडक्ट की है।
 
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एक अपील पशुपालकों से भी

कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वय महेंद्र सिंह सिसोदिया ने पशुपालकों से भी अपील की है कि गिर नस्ल की गाय पालें। दूध की क्वालिटी बनाए रखे। जितना भी दूध होगा वे खरीदने को तैयार है। शहर देसी नस्ल की गायों का दूध पीने को तैयार बैठा है। काऊ मिल्क काउंटर खोलने के लिए बेरोजगारों को मोटीवेट किया है। कुछ ने काऊंटर शुरू कर दिए। और उनका रोजगार चल निकला। जिनके पास अब तो हालात एेसे हो गए है कि डिमांड के मुताबिक दूध नहीं मिल रहा। इसके लिए गांवों में पशुपालकों को आधूनिक तकनीक से गिर नस्ल की गायों का पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

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