झालावाड से 60 किलोमीटर दूर चारों ओर फैली खूबसूरती के बीच किसी जन्नत सरीखा ही लगता है कामखेडा बालाजी का दरबार। कहा जाता है कि कामखेडा बालाजी में स्थित हनुमान जी के मंदिर में भूतो की अदालत लगते हुए 1000 साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया। यहां पर इंसानों को परेशान करने वाली प्रेतात्माओं को बजरंग बली खुद सजा सुनाते है। कामखेड़ा बालाजी धाम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भूत और प्रेत आत्माएं खुद पेशी देने आती हैं, उन्हें बुलाया नहीं जाता।
प्रेत आत्माएं खुद बताती हैं अपनी परेशानी कामखेडा बालाजी धाम में पेशी पर आने वाली प्रेत आत्माओं की बाकायदा सुनवाई होती है। उनकी अदालत लगती है। जहां प्रेत आत्माएं हाजिरी लगा कर अपनी परेशानी खुद बताती हैं। जो प्रेत आत्माएं बेवजह लोगों को परेशान करती हैं उन्हें इस अदालत में सजा भी दी जाती है। सबसे पहले उन्हें जंजीरो से बंधा जाता है, फिर अभिमंत्रित कीलों और दंडकरों से दंड दिया जाता है, ताकि वह दोबारा फिर से इंसानों को परेशान ना कर सकें। प्रेतबाधाओं से पीड़ित लोगों को निजात दिलाने के लिए देश और दुनिया भर से लोग यहां आते हैं।
मन्नत पूरी होने पर लगानी पड़ती है गुप्त देवी की हाजिरी कामखेड़ा बालाजी आने वाले भक्तों की जब मुंह मांगी मन्नते पूरी हो जाती हैं तो वह पहले यहां स्थित गुप्त देवी और प्रेतराज के दर्शन करते हैं। इसके बाद ही उन्हें बालाजी महाराज के मन्दिर में प्रवेश मिलता है। राजस्थान ही नहीं मध्यप्रदेश, गुजरात उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के बाकी हिस्सों से यहां हर रोज हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आम आदमी ही नहीं तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्री तक कामखेडा बाला जी के दरबार में मन्नत मांगते हुए कभी भी देखे जा सकते हैँ। सबसे बड़ी बात यह है कि मंदिर ट्रस्ट यहां आने वाले भक्तों के खाने और ठहरने से लेकर पार्किंग तक का मुफ्त इंतजाम करते हैं।
नहीं आते कमजोर दिल वाले यहां कमजोर दिल वाले लोग नही आते है क्योकि मंदिर में हर ओर प्रेतबाधाओं से पीड़ित लोग चिल्ला-चिल्लाकर अपनी कहानी बयां करते नजर आते हैं। जिन्हें देख कर रूह तक कांप जाती है, लेकिन इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि प्रेतबाधाओं से पीड़ित व्यक्ति यहां आने के बाद ठीक होकर ही वापस लौटता है।
खुद अवतरित हुए थे बालाजी यहां के लोगों ने बताया कि हजारों साल पहले यहां एक छोटा सा चबूतरा था। जिस पर हनुमान जी की आकृति खुद ब खुद उभर आई। यह आकृति इतनी साफ है कि ऐसा लगता है जैसे किसी ने अपने हाथो से बनाया हो तथा मूर्ति के पास एक जल का छोटा सा कुण्ड है जिसमे 12 महीनो पानी भरा रहता है। कामखेडा बालाजी को दुष्ट आत्माओ से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य
शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मन्दिर माना जाता है। कामखेड़ा के बालाजी की एक और खास मान्यता है कि शादी के बाद पति-पत्नी यहां रामायण पाठ कराते हैं, ताकि उनके पारिवारिक जीवन में आने वाली सारी बाधाएं पहले से ही खत्म हो जाएं।