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दरअसल, बूंदी जिले के गणेशपुरा निवासी लीला बाई (19) को टाइफाइड व न्यूमोनिया की शिकायत पर परिजनों ने 23 मई को भर्ती करवाया था। महिला भामाशाह लाभार्थी है। चिकित्सक ने शुक्रवार को मरीज के लिए ब्लड लिखा। परिजनों का आरोप है कि वार्ड में ही मौजूद किसी व्यक्ति ने 1600 रुपए में ब्लड का इंतजाम कराने की बात कही। रुपए देने के बाद ब्लड की व्यवस्था हो गई। इस बीच किसी ने इसकी शिकायत एमबीएस पुलिस चौकी में कर दी।
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पुलिस ने ब्लड देने वाले डोनर को पकड़ लिया, लेकिन मौका पाकर दलाल फ रार हो गया। डोनर कमल यादव ने बताया कि उसे रुपए की जरूरत थी। दलाल ने खून देने के बदले उसे एक हजार रुपए दिए। वो दलाल को नहीं जानता। जानकारी के मुताबिक खून की व्यवस्था करवाने वाला अस्पताल का ही कार्मिक है। इधर, जब वार्ड में मौजूद स्टाफ से इस बारे में जानकारी ली, तो उन्होंने इनकार कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि सुरक्षा गार्ड होने के बावजूद बाहर का आदमी वार्ड में कैसे आया और मरीज के परिजनों से खून की व्यवस्था कराने के एवज में रुपए लेने के बाद भी स्टाफ को जानकारी कैसे नहीं लगी। उधर, एसआई चम्पालाल से जब घटना की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि यह छोटी-मोटी बात है। ऐसा चलता रहता है। एक जने को थाने में भेजा है। ज्यादा जानकारी सीआई से ले सकते हैं। सीआई संजय रॉयल ने बताया कि एक गरीब आदमी था। पैसों की जरूरत थी। उसने ब्लड बेच दिया। उसे हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है।
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कराएंगे जांच
अस्पताल में खून के दलाल सक्रिय होने की जानकारी मिली है। स्टाफ की भूमिका है तो इसकी जांच करवाएंगे। गार्डों को भी पाबंद करेंगे।
डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल