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सड़ रहे अस्पताल
विज्ञान नगर डिस्पेंसरी में तो हालात ज्यादा खराब है। टीकाकरण, वार्ड व अन्य जगहों पर प्लास्टिक की बाल्टियों व पॉलीथिन में बांधकर कचरा रखा है। इस कारण यहां कचरे का ढेर पड़ा है। इन्हीं में मच्छर पनप रहे हैं। कुन्हाड़ी, सकतपुरा व भीममंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी यही हाल है। भीममंडी से सुबह कर्मचारी बायोवेस्ट लेकर एमबीएस अस्पताल लाता है।
पांच साल की सजा और पांच लाख का जुर्माना
बायो मेडिकल वेस्ट मेनेजमेंट रूल्स 2016 के अनुसार अस्पताल, नर्सिंग होम्स, क्लिनिक, डिस्पेंसरी, पशु चिकित्सालय एवं उपचार से जुड़ी समस्त संस्थान, पैथोलोजिकल लैब, ब्लड बैंक, कैम्प में बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है, उसे प्रदूषण नियंत्रण मण्डल में अपना पंजीयन करवा कर अधिकार पत्र प्राप्त करना होगा। अन्यथा संस्थान का संचालन बन्द किया जा सकता है।
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जिम्मेदार अफसर बेखबर
प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोटा के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा से सीधी बातचीत प्रश्न: दस माह से जिले की सीएससी व पीएससी से बायोवेस्ट का उठाव नहीं हो रहा है?
उत्तर: सीएससी व पीएससी से बायोवेस्ट का उठाव की मुझे कोई जानकारी नहीं है। बायोवेस्ट टीम से हकीकत पता करेंगे।
प्रश्न: बायोवेस्ट उठाव नहीं होने से संक्रमण का खतरा है?
उत्तर: सीएमएचओ कार्यालय को नोटिस दिया जाएगा। सीएमएचओ से
बातकर बायोवेस्ट उठाव के लिए प्रयास करेंगे।
कोटा सीएमएचओ डॉ. आर.के. लवानिया का कहना है कि जिले की कई पीएससी व सीएससी में मेडिकल बायोवेस्ट का उठाव नहीं हो रहा। हमने 26 लाख 73 हजार की बजट डिमांड भेज रखी है, लेकिन बजट स्वीकृत नहीं हो रहा। अब केन्द्रों से स्वयं को अपने-अपने स्तर पर बायोवेस्ट के उठाव के निर्देश दिए हैं।
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बायो मेडिकल वेस्ट की हैं चार श्रेणियां
एडवोकेट विवेक नन्दवान का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट कचरे को खुले में नहीं फेंका जाना चाहिए और इस कचरे को नगर निगम के कचरे के साथ भी नहीं मिलाया जाना चाहिए। बायो मेडिकल वेस्ट की चार श्रेणी है इसमें अवधिपार दवाइयां, रोगी के मल-मूत्र, उल्टी एवं मानव अंग सम्मिलित हेै, रेडियोधर्मी पदार्थ जिसमें रेडियम, एक्सरे, कोबाल्ट और रसायनिक पदार्थ में बैटरी, लैब में काम आने वाले कैमिकल सम्मिलित हैं। इनकी निस्तारण की प्रक्रिया तय है और इसमें यदि कोई चूक होती है तो पांच वर्र्ष तक की सजा एवं पांच लाख रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है।