चालू नहीं हुआ हैंगिंग ब्रिज, गई एक और जान
यह था मामलाअसनावर क्षेत्र के गादिया व कुंड गांवों के 19 महिलाएं, 15 पुरुष व तीन बच्चे ट्रैक्टर-ट्रॉली से बाबा के जयकारे लगाते हुए रामदेवरा रवाना हुए थे। बीच रास्ते में सांवरिया सेठ के दर्शनों को जाते समय ऐसी घटना घटी जिसने सबको झकझोर दिया। एक ट्रॉला चालक ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोंदता हुआ निकल गया। इस हादसे में चार जनों की मौके पर ही मौत गई तथा दो गंभीर घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। चार शव मंगलवार शाम को झालावाड़ मोर्चरी में पहुंच गए थे। एक सुबह ही सीधे गांव में पहुंचाया गया।
पत्नी को जंक्शन छोड़ने आया पति ट्रेन से कटा, व्हाट्सप्प से मिली मौत की खबर
परिजनों को संभालना मुश्किलमृतक पूर्व सरपंच शोभाराम (45) पुत्र मदनलाल मीणा, छात्र पवन (20) पुत्र राजाराम मीणा, देवीशंकर (36) पुत्र नारायण मीणा, शोभाराम पुत्र (22) विजय निवासी गादिया तथा पूरण भील (33) पुत्र भैरुलाल निवासी कुंड के शव गांवों में पहुंचे तो मातम छा गया। पहले से सूचना होने से गांव में शव को ज्यादा देर नहीं रखा। तुरंत अंतिम संस्कार के लिए गए।
पति की तेहरवी होते ही फांसी पर झूली पत्नी, 2 सुसाइड नोट ने उलझायी मौत की गुत्थी
अंतिम संस्कार में ये भी पहुंचेसंसदीय सचिव नरेन्द्र नागर, विधायक कंवर लाल मीणा, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय जैन, संजय वर्मा, रोजश शर्मा, हरि पाटीदार, मनीष भील, मनीष पाटीदार, राकेश भील, पूर्व विधायक कैलाश मीणा, सुरेश गुर्जर, अकतासा सरपंच मुकेश मीणा, पूर्व प्रधान भवानीसिंह गुर्जर, प्रेम सुमन, बालचन्द पाटीदार, शिक्षक वीरेन्द्र सिंह सहित असनावर, बड़ोदिया, जूनाखेड़ा, अकतासा, गादिया, पनवास, बालदिया सहित आस-पास के कई गांवों के लोग अंतिम संस्कार में पहुंचे।
कोटा में अनूठी थी वो आजादी की पहली सुबह 30 किलोमीटर से खींच लाई मौत
घटना के समय ट्रैक्टर में बैठे गोरधन लाल भील ने बताया कि हम गांव से 13 अगस्त रविवार को दोपहर २ बजे रामदेवरा के लिए रवाना हुए थे। मंगलवार को सुबह चाय आदि पीकर आगे बढ़े। सांवलिया (मंडफिया) से तीस किलोमीटर आगे चले गए थे लेकिन महिलाओं के कहने पर लौटकर दर्शनों के लिए आ रहे थे।
घर मे झाडू लगा रही महिला की कटी चोटी, मचा हडकंप
गतवर्ष भी गई थी सात जानेंरामदेवरा जाने वाले लोगों की गत वर्ष 30 अगस्त को जिले के बकानी के पास के थोबडिय़ा व महेश पुरा के सात लोगों की टै्रक्टर हादसे में जान चली गई थी। यह हादसा भीलवाड़ा जिले में हुआ था। इसके बावजूद भी लोग ट्रैक्टर से यात्रा कर रहे हैं। वहीं प्रशासन इसको दरकिनार कर रहा है। टै्रक्टर का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया जाता है। लेकिन फिर भी ग्रामीण 6-7 सौ किलोमीटर की यात्रा ट्रैक्टर से कर रहे हैं। इस ओर जिला परिवहन विभाग व पुलिस विभाग का कोई ध्यान ही नहीं है। अगर जिले में ही ऐसी यात्राएं रोक दी जाए तो ऐसे हादसों पर रोक लग सकती है।
संसदीय सचिव नरेन्द्र नागर का कहना है कि हादसे में मारे गए लोगों को यथा संभव सहायता दी जाएगी। इस संबंध में सीएम का भी फोन आया है। गत वर्ष भी बकानी में हादसे में मारे लोगों को सहायता दी गई थी। दु:ख की इस घड़ी में हम इनके साथ हैं।