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चिकित्सालयों में नहीं बची पैर रखने के लिए जगह चिकित्सा विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कोटा में रोजाना लगभग 20 हजार मरीज विभिन्न सरकारी व निजी चिकित्सालयों में आ रहे हैं, इनमें से करीब 2 हजार की सरकारी व निजी लैब में जांचें कराई जा रही हैं। हाल ये है कि सरकारी व निजी चिकित्सालयों में पैर रखने तक की जगह नहीं है। भर्ती मरीजों की स्थिति तो और खराब है। कइयों को पलंग तक नहीं मिले, मजबूरन बैंचों पर ही इलाज कराना पड़ रहा है। मरीजों की संख्या के आगे संसाधन कम पड़ रहे हैं।
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अलग से आउटडोर, फिर भी कतार अस्पतालों में मौसमी बीमारी मलेरिया, वायरल, सर्दी-जुकाम व खांसी के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एमबीएस, जेके लोन व नए हॉस्पिटल प्रबंधन ने अलग से आउटडोर की व्यवस्था की है। बावजूद इसके कतारों में खड़े रहकर इलाज कराना पड़ रहा है। चिकित्सालयों में डेंगू, मलेरिया व वायरल के मरीजों के पहुंचने से सेन्ट्रल लैब में भी जांचों का भार पड़ गया है। यहां प्रतिदिन दो हजार मरीज करीब दस हजार जांचें करवा रहे हैं। एक मरीज की करीब दस तरह की जांचें हो रही हैं। यहां भी मरीजों की संख्या बढऩे से समय पर जांच नहीं मिल पा रही है।