बताया जा रहा है कि भूख हड़ताल पर बैठे बैगा परिवार को राजस्व विभाग द्वारा आश्वासन देकर बुधवार को कार्यालय बुलवाया गया था। हालांकि एसडीएम कार्यालयीन कामकाज को लेकर मुख्यालय से बाहर चले गए थे। ऐसे में बुधवार को बैगा परिवार की समस्या का निराकरण नहीं हो पाया।
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ये था मामलामनेंद्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के जनकपुर निवासी पीडि़त परिवार के पास वर्ष 1935 का जमीन से संबंधित रिकॉर्ड है। इस संबंध में पीडि़त गेंदलाल बैगा और पवन कुमार बैगा ने बताया कि सन् 1934-35 के दस्तावेज में यह जमीन, खसरा क्रमांक 161/1 उनके परदादा लोधिया राम बैगा के नाम दर्ज है।
पीडि़त परिवार ने बताया कि लोधिया राम बैगा के 2 बेटे शुक्ला राम बैगा व चैता राम बैगा हैं, जो हमारे दादा हैं। उन्हें शासन द्वारा 5-5 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया था।
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शुक्ला राम के बेटे प्रेमलाल बैगा के नाम वर्ष 1974-75 में 5 एकड़ जमीन थी। लेकिन वर्ष 2006 में अपना रिकॉर्ड निकलवाया, तब पता चला कि उसकी 5 एकड़ की जमीन अब मात्र 2 एकड़ ही बची है।
साथ ही नया खसरा नंबर 695/1 कर दिया गया है। जिस जमीन पर पुराना घर बना हुआ है और हमारे दो-तीन पुस्त रहते आए हैं। उस जमीन में से 3 एकड़ जमीन गायब हो गई है।