Child birth in Auto rickshaw: कई बार फोन किया लेकिन नहीं मिली एंबुलेंस, महिला ने ऑटो रिक्शा में दिया बच्चे को जन्म
Child birth in Auto rickshaw: अस्पताल पहुंचते ही ऑटो रिक्शा में ही तेज हो गई प्रसव पीड़ा, प्रसूता व उसके नवजात को अस्पताल में कराया गया भर्ती, दोनों स्वस्थ
मनेंद्रगढ़. प्रसव पीड़ा से तड़प रही एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराने एंबुलेंस नहीं मिली। कई बार फोर करने के बाद भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने पर परिजन व मितानन ऑटो रिक्शा में गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर पहुंचे। इसी बीच तेज दर्द उठा और महिला ने ऑटो रिक्शा में ही बच्चे को जन्म (Child birth in Auto rickshaw) दिया। इसके बाद अस्पताल के स्टाफ द्वारा जच्चा-बच्चा को वार्ड में ले जाकर भर्ती किया गया।
मनेंद्रगढ़ के ग्राम पंचायत चनवारीडांड निवासी पवन बाई (20) को प्रसव पीड़ा होने पर मितानिन व परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑटो से लेकर पहुंचे। बताया जा रहा है कि घर से मितानिन व परिजनों ने 108 को कई बार कॉल किया। लेकिन शासकीय वाहन उपलब्ध नहीं होने की जानकारी कर्मियों ने दी।
तब निजी ऑटो से अस्पताल लेकर पहुंचे। जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे, वैसे ही तेज प्रसव पीड़ा उठी और थोड़ी देर में ही ऑटो में ही डिलीवरी (Child birth in Auto rickshaw) हो गई। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला का कहना है कि घर से ही परिजनों व मितानिन ने कई बार कॉल किया लेकिन एंबुलेंस वाहन उपलब्ध नहीं हो पाया।
Child birth in Auto rickshaw: ऑटो रिक्शा से आना पड़ा अस्पताल
प्रसूता का कहना था कि एंबुलेंस नहीं मिलने पर घर के समीप ही रहने वाले ऑटो चालक नानदाऊ को सूचना दी गई। इसके बाद उसे ऑटो में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। अस्पताल पहुंचते ही मुख्य गेट पर बच्चे का जन्म हुआ।
फिर अस्पताल के नर्स व वार्ड बॉय को जानकारी मिली तो अस्पताल में मौजूद रात्रि काल में ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने जच्चा-बच्चा को अस्पताल में भर्ती (Child birth in Auto rickshaw) किया।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मनेद्रगढ़ नगर पालिका, कोयलांचल, ग्रामीण क्षेत्र के मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे हैं। पर आपातकालीन स्थिति में समय पर एंबुलेंस वाहन नहीं मिलने से मरीज परेशान होते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस वाहन (Child birth in Auto rickshaw) की कमी के कारण कई बार दुर्घटनाएं हो जा रही है।
शासन प्रशासन द्वारा अस्पताल में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में हमेशा खामियां सामने आती है। हालांकि कई बार कार्रवाई के नाम पर नर्स व वार्ड बॉय पर ही गाज गिरती है।
सीनियर चिकित्सक होने के बाद भी रात्रि में इमरजेंसी ड्यूटी में कभी भी अस्पताल में मरीजों का उपचार करने नहीं पहुंचते। उपचार कराने वाले मरीज की हालत देखे बिना दूरभाष पर ही मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।
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