कोरबा

एसईसीएल मेन हॉस्पिटल में बच्चों के टीकाकरण का काम दो साल से बंद

कोरबा . कोरोना वायरस का प्रकोप भले ही थम गया हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग अब भी इस वायरस को लेकर ही ज्यादा गंभीर दिखाई दे रहा है। एसईसीएल अस्पताल में बच्चों को लगने वाला टीका दो साल से बंद है। स्वास्थ्य विभाग इसे दोबारा चालू करने के लिए पहल नहीं कर रहा है। इससे क्षेत्र के लोगों को परेशानी हो रही है। उन्हें जिला अस्पताल या अन्य निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है।

कोरबाNov 13, 2022 / 05:24 pm

CHOTELAL YADAV

एसईसीएल मेन हॉस्पिटल में बच्चों के टीकाकरण का काम दो साल से बंद

बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जन्म के बाद से ही समय-समय पर टीका लगवाना अनिवार्य होता है। यह टीका जन्म के साथ ही १६ वर्ष की आयु तक के बच्चों को लगाया जाता है। इसे शासन की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। इससे शिशुओं को गलघोंटू, डिप्थीरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस बी, सी, हैजा, चेचक, पोलियो आदि गंभीर बीमारिायों से बचाया जा सके, लेकिन शहर के मुड़ापार बाजार स्थित एसईसीएल मेन हॉस्पिटल में कोरोना महामारी के बाद से टीकाकरण बंद हो गया है।
इसे चालू करने में स्वास्थ्य विभाग की रूचि नहीं है।

टीकाकरण बंद होने से एसईसीएल कोरबा एरिया में रहने वाले कर्मचारी और उनके बच्चों को तो परेशानी हो ही रही है।

मुड़ापारा, शारदा विहार, कृष्णा नगर, रामनगर, सुभाष ब्लॉक और मानिकपुर इलाके में रहने वाले लोग भी परेशान हैं। बच्चों को लेकर अभिभावक को जिला अस्पताल का रूख करना पड़ता है या जेब ढीली कर निजी अस्पतालों में टीकाकरण कराना होता है। एसईसीएल प्रबंधन भी टीकाकरण करने को इच्छुक नहीं है।
पहले कोरोना टीका का दबाव और मेन पावर की कमी
कोरोना महामारी के दौरान बच्चों की सुरक्षा और मेन पावर की कमी की वजह से एसईसीएल हॉस्पिटल में बच्चों का टीकाकरण बंद कर दिया गया था। तब से अभी तक कोरोना टीका पर जोर दिया गया, लेकिन शिशुओं के टीकाकारण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। समय पर शिशुओं को टीका नहीं लगवाने से संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकते हैं।

स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध नहीं करा रहा टीका व स्टॉफ
बताया जा रहा है कि पुरानी व्यवस्था के अनुसार एसईसीएल हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा स्वास्थ्य विभाग को जगह उपलब्ध कराई गई थी। यहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीका उपलब्ध कराया जाता था और उनके ही कर्मियों के द्वारा टीका लगाया जा रहा था। कोरोना महामारी के बाद से न तो स्वास्थ्य कर्मचारी पहुंच रहे हैं और न ही शिशुओं के लिए टीका।

इन बीमारियों से बचाते हैं ये टीके
जन्म के बाद 16 वर्ष तक बच्चों को समय-समय पर टीकाकरण कराए जाने से टीबी, पोलियो, रोटा वायरस, दस्त, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी, खसरा, हिब-निमोनिया, मेनिनजाइटिस आदि बीमारियों से बचाया जा सकता है। कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग का टीकाकरण अभियान अभी भी पटरी पर नहीं आया है।

आयु टीकाकरण सूची पर एक नजर
जन्म पर बीसीजी, ओपीवी-0, हेपेटाइटिस-बी
6 हफ्ते (सवा महीने): ओपीवी-1, रोटा-1, एफआईपीवी-1, पेंटावेलेंट-1
10 हफ्ते (सवा दो महीने) : ओपीवी-2, रोटा-2, पेंटावेलेंट-2
14 हफ्ते (सवा तीन महीने): ओपीवी-3, रोटा-3, एफआईपीवी-2, पेंटावेलेंट-3
9 महीने : एमसीवी-1, विटामिन-ए
16-24 महीने : डीपीटी-बी, ओपीवी-बी, एमसीवी-2, विटामिन-ए
5-6 साल : डीपीटी-बी 2
10 साल : टीटी
16 साल : टीटी-1 व टीटी-2
अस्पताल में कोरोना महामारी के बाद से स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य कर्मचारी व टीका उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इस कारण बच्चों का टीकाकरण बंद हो गया है।
डॉ. कुमुदिनी जेबियर, सीएमओ, एसईसीएल मेन हॉस्पिटल, कोरबा

एसईसीएल मुख्य हॉस्पिटल में शिशुओं के टीकाकरण बंद होने की जानकारी नहीं है। अस्पताल में जल्द टीकाकरण शुरू किया जाएगा।
ज्योत्सना ग्वाल, सीपीएम, कोरबा

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