मां सर्वमंगला मंदिर में मनोकामना और आस्था के दीप के लिए अब तक आठ हजार से अधिक भक्तों पंजीयन कराया है। पंडालाें में भी तैयारी जारों-शोरों से चल रही है। सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समितियां मां भवानी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए भव्य पंडाल को आकार देने की तैयारी में जुटे हुए हैं। शहर में कहीं प्रतिपदा से प्रतिमा स्थापित कर नौ दिनों तक आराधना की जाती है, तो कहीं छष्ठी तिथि से ढांकी की थाप पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी।
एमपी नगर: वर्ष 1998 से मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना एमपी नगर दशहरा मैदान में 25 साल से मां दुर्गा के नौ रुपों की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जा रही है। यहां को पंडाल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। श्रीश्री दुर्गा एवं दशहरा उत्सव समिति के सदस्य ने बताया कि एमपी नगर वर्ष 1998 से हर साल नए स्वरूप में भव्य पंडाल तैयार किया जा रहा है।
पुराना बस स्टैंड: वर्ष 1959 से मनाया जा रहा दुर्गोत्सव पुराना बस स्टैंड में लगभग 64 साल से मां दुर्गा की प्रतिमा के लिए हर साल पंडाल नया व भव्य स्वरूप आकर्षण का केंद्र रहता है। यहां लगभग 20 साल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस पंडाल में राष्ट्रीय कवि सुरेंद्र दुबे, कुमार विश्वास सहित अन्य कवियों ने अपनी कविताआें से लोगों ने गुदगुदाया है। इस का भव्य पंडाल तैयार किए जा रहे हैं।
रानी गेट पुरानी बस्ती: वर्ष 1979 से मां भवानी की उपासना रानी गेट पुरानी बस्ती में 44 वर्षो से मां जगत-जननी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। मां दुर्गा मंदिर के जगमगाती झालर लाइटें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। मां दुर्गा सेवा समिति, रानी गेट, पुरानी बस्ती के सदस्य ने बताया कि मंदिर परिसर व पंडाल में वर्ष 1979 से हर साल नवरात्रि पर्व पर मां भवानी की प्रतिमा स्थापित कर आराधना की जा रही है।
कोसाबाड़ी: वर्ष 1991 से भव्य पंडाल और गरबा की धूम श्री दुर्गा एवं दशहरा उत्सव समिति, दशहरा मैदान कोसाबाड़ी 32 साल से भव्य पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। पंडाल में गरबा की धूम और रंग-बिरंगी जगमगाती झालटें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। साथ ही विविध कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं भी कराई जाती है।
प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा की परंपरा 60 से 65 साल पुरानी जिले में प्राचीन और महल की तर्ज पर भव्य पूजा-पंडाल में मां आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा 60 से 65 साल से चली आ रही है। इसके बाद समय के साथ जगह-जगह मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। भव्य पंडाल को प्राचीन मंदिर, महल की तर्ज पर और नए स्वरूप में साज-सज्जा की जा रही है। इस साल भी दुर्गोत्सव पर पूजा-पंडाल, स्वागत द्वार, रंग-बिरंगी और जगमगाती लाइटों की श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। भक्त मां जगत-जननी की प्रतिमा का दर्शन करने को आतुर हैं।