दरअसल दंतैल हाथी (Elephant) गुरुवार की रात ही आजाद हो गया था। आधी रात विभाग द्वारा गणेश (Ganesh) को बेहोशी की हालत में ट्रक में लोड कर अंबिकापुर के तमोर पिंगला हाथी एलीफेंट रिजर्व ले जाने की तैयारी थी। लेकिन इसी दौरान वन विभाग का प्लान फेल हो गया और गणेश उनकी चंगुल से निकलकर जंगल की ओर भाग निकला। वन अमले का यह भी कहना है कि हाथी की तबियत बिगडऩे की वजह से उसे जानबूझकर छोड़ा गया था। गणेश (Ganesh) को कुमकी हाथियों (Kumki Elephant) की मदद से काबू में किया गया था। लेकिन वह कुदमुरा के गजदर्शन रेस्ट हाउस की बाउंड्री वाल तोड़कर फरार हो गया। लोकेशन की मॉनिटरिंग के लिए उसके गले में रेडियो कॉलर भी लगाया गया है। इसकी मदद से सेटेलाइट इमेज के जरिए गणेश के पल-पल के मूवमेंट की मॉनिटरिंग की जा रही है।
कुरुंगा में किया गया ट्रेंक्यूलाइज
गणेश को जंजीर से आजाद करने के लिए वन विभाग (Forest Department) के अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। कुरूंगा जंगल में हाथी (Elephant) को घेर कर फिर ट्रेंक्यूलाइज किया गया। दवा का असर होते ही हाथी बेहोश हो गया और उसके पैरों में बंधे जंजीरों को खोला गया। इस कार्य में आधे घंटे का समय लग गया। पैरों से जंजीर खोलने के बाद कुछ देर में उसे पुन: होश आया। इसके बाद गणेश (Ganesh) जंगल की ओर आगे बढ़ गया। इस दौरान हाथी ने पेड़ की पत्तियों को सूंड़ से तोड़कर इसका सेवन भी किया।