आखिरकार दूर-दराज से यहां इलाज की उम्मीद लेकर आने वाले लोगों को रेफ र होना पड़ता हैं। हालांकि स्थानीय संघ-संगठन के लोग समय-समय पर इन सब बातों को उठाते रहे है। बावजूद इसके यहां डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही हैं। वही जो विशेषज्ञ डॉक्टर संविदा आधार पर नियुक्त होते है वो जैसे-तैसे कर यहां से अपनी अवधि पूरी होते ही निकल जाते हैं।
जिले में इनकी है दरकार
एनस्थिसिया विशेषज्ञ, चाईल्ड स्पेशलिस्ट, मेडीसीन, नाक कान गला विशेषज्ञ, नेत्ररोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, सर्जरी सहित अन्य विशेषज्ञों की आवश्यकता हैं। एनस्थिसियां विशेषज्ञ नहीं होने के चलते यहां आपरेशन भी नहीं हो पा रहे हैं। इन अव्यवस्थाओं के बीच यहां एनएससीयू खोलने की तैयारी चल रही हैं जिसमें दो चाईल्ड विशेषज्ञ की नितांत आवश्यकता होगी जो हमारे यहां अभी फि लहॉल नहीं हैं। वहीं एमसीएच की शुरूआत होने के साथ ही यहां पदस्थ डाक्टर व नर्सो की ड्यूटी वहां भी पृथक से लगाई जा रही हैं। ज्ञात हो कि जिला हास्पिटल में यू तो 100 बिस्तर की स्वीकृति है, लेकिन यहां अभी भी 50 बिस्तर के हिसाब से ही सेटअप काम कर रहा है वो भी जिला हास्पिटल के साथ ही एमसीएच दोनों को मिलकर स्टॉफ की कमी के चलते भी यहां कार्य प्रभावित हो रहा हैं।
हॉल में यहां तैनात नेत्र विशेषज्ञ ने रिजाइन किया हैं। इससे पहले भी एनस्थिसिया सहित कई डाक्टरों ने जिला अस्पताल को बाय-बाय कह दिया हैं। जिससे यहां स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति चरमरा गई है तथा मरीजों को बिना इलाज कराए ही बैरंग लौटना पड़ रहा है। जिला हॉस्पिटल में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे है, लेकिन यहां विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के चलते यहां से मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना भी पड़ता हैं। अब देखना होगा कि नई सरकार की मेडिकल के फील्ड की रणनीति जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कितना कामगार साबित हो पाती हैं।
सिविल सर्जन डॉ. एसपी वारे ने बताया कि, नियमानुसार डाक्टरों की कमी तो है, लेकिन जितने है उनसे बेहतर व्यवस्था एवं इलाज कराने का प्रयास किया जा रहा हैं। समय-समय पर यहां की अव्यवस्थाओं के बारे में उच्चधिकारियों को जानकारी भेजी जाती रही है।