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कोलकाता

भारत और चीन के बीच रेशम की राह से बीते साल शून्य रहा व्यापार

भारत और चीन (Indo- China ) के बीच सीमाई व्यापार शुरू करने के लिए वर्ष २००६ में खोला गया नाथुला दर्रें का मार्ग बीते साल व्यापार शून्य रहा। सिक्किम में स्थितइस रेशम की राह से होने वाले आयात निर्यात को तगड़ा झटका लगा।

कोलकाताJan 22, 2021 / 03:08 pm

Paritosh Dube

भारत और चीन के बीच रेशम की राह से बीते साल शून्य रहा व्यापार

भारत और चीन के बीच रेशम की राह से बीते साल शून्य रहा व्यापार

कोलकाता. सीमाई व्यापार के लिए वर्ष 2006 में खुली रेशम की राह बीते साल कई कारणों से व्यापार शून्य रही। पहले कोरोना फिर गलवान के कारण भारत और चीन के बीच नाथूला दर्रे से होने वाला व्यापार बंद रहा। दोनों देशों के बीच इस दर्रे से होने वाले व्यापार में शामिल वस्तुओं की संख्या भले ही दो अंकों में हो लेकिन व्यापार शुरू होने के डेढ़ दशकों के दौरान आयात-निर्यात का आंकड़ा 200 गुना तक पहुंच गया था। सीमाई व्यापार पर दोनों देशों के बीच संबंधों का असर भी पड़ता है। मसलन वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध के कारण व्यापार नहीं हुआ यही हाल बीते वर्ष हुए गलवान के बाद भी हुआ।
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वर्ष 2006 में खुली थी रेशम की राह
भारत और चीन के बीच व्यापार की सदियों पुरानी राह वर्ष 2006 में खुली थी। उस वर्ष सीमा व्यापार 27.87 लाख के निर्यात और 6.88 लाख के आयात के साथ शुरू हुआ। वर्ष 2016 तक दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा 200 गुना तक बढ़ गई। सिक्किम सरकार के वाणिज्य और उद्योग विभाग की ओर से प्रदान किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में नाथू ला में भारत से चीन को 63.38 करोड़ के सामान निर्यात किए गए वहीं चीन से आयातित सामान का मूल्य। 19.30 करोड़ था।
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भारत और चीन के बीच रेशम की राह से बीते साल शून्य रहा व्यापार
डोकलाम ने गिराया 90 फीसदी व्यापार
वर्ष 2017 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच डोकलाम में लंबे समय तक गतिरोध का प्रतिकूल प्रभाव सीमायी व्यापार पर पड़ा और व्यापार लगभग 90 प्रतिशत तक गिर गया। भारत से हुआ निर्यात 7.83 करोड़ तक पहुंचा वहीं चीन से आयात 1.02 करोड़ हो गया। वर्ष 2018 में सीमायी व्यापार फिर से तेज हुआ और भारतीय निर्यात बढ़कर 52 करोड़ और आयात 3.23 करोड़ तक पहुंच गया।
सीमा शुल्क अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध के कारण सीमायी व्यापार को निलंबित करना पड़ा था। डोकलाम और नाथू ला की दूरी लगभग 56 किमी है।
वर्ष 2019 में सड़कों की स्थिति खराब होने के कारण व्यापार में गिरावट आई। सीमा शुल्क के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में सीमायी व्यापार के तहत भारतीय निर्यात 40.31 करोड़ और आयात 3.20 करोड़ रूपए के सामानों का हुआ।
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भारतीय निर्यात ज्यादा
उद्योग और वाणिज्य विभाग के अधिकारी के मुताबिक भारतीय निर्यात इसलिए ज्यादा है क्योंकि 36 सामानों के निर्यात की अनुमति है वहीं चीन से 20 प्राकर के सामान ही आयात किए जा सकते हैं। वर्ष 2006 में जब सिक्किम और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के बीच सीमाई व्यापार शुरू हुआ था उस समय केवल 29 वस्तुओं का ही व्यापार किया जा सकता था। समझौते के अंतर्गत भारतीय व्यापारी चीनी क्षेत्र में लगभग 20 किमी अंदर रिनचेंग जाकर व्यापार कर सकते हैं जबकि चीनी व्यापारी नाथूला सीमा से भारतीय क्षेत्र में लगभग 7 किमी दूर अंदर सेराथांग आकर व्यापार कर सकते हैं।
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देश का हित सर्वोपरी
सीमाई व्यापार दोनों देशों के बीच संबंधों पर निर्भर करता है। हमारा निर्यात इसलिए ज्यादा है क्योंंकि पूरे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में भारतीय आवश्यक वस्तुएं काम आती हैं। भारतीय राशन व अन्य आवश्यक वस्तुएं तिब्बत के लोगों को मुख्य चीन भूमि से सस्ती पड़ती हैं। चीन भी इसीलिए सीमायी व्यापार खोलने के पक्ष में है। भारतीय व्यापारियों के लिए देश का हित सर्वोपरी है।
कैलाश अग्रवाल, महासचिव सिक् िकम चेम्बर ऑफ कॉमर्स

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